भाजपा में जल्द ही शुरू होगी देश भर में संगठनात्मक बदलावों की प्रक्रिया

नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नए सदस्यता अभियान की शुरुआत के साथ व्यापक संगठनात्मक बदलावों की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करने वाली है। इस कड़ी में राज्यों में आंतरिक चुनाव होंगे और फिर उसके बाद नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव होगा।

हालांकि, भाजपा के संविधान में हाल में संशोधन कर पार्टी की शीर्ष इकाई संसदीय बोर्ड को ‘आपातकालीन’ परिस्थितियों में अध्यक्ष व उसके कार्यकाल से संबंधित फैसला करने की शक्ति दे दी है।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी का संसदीय बोर्ड नड्डा के स्थान पर नए अध्यक्ष के चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक उनका कार्यकाल बढ़ा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को करना है।

नड्डा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य, रसायन और उर्वरक मंत्री के रूप में शामिल किए जाने के बाद उनके भाजपा में नए अध्यक्ष का चुनाव आवश्यक हो गया है।

साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को जब सरकार में गृह मंत्री बनाया गया था तो नड्डा को इसका कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। बाद में जनवरी 2020 में वह पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने गए।

इसलिए यह संभावना भी बनती है कि पार्टी किसी को कार्यकारी अध्यक्ष के रुप में नियुक्त कर दे क्योंकि आगामी सदस्यता अभियान और इसकी संगठनात्मक इकाइयों चाहे वह जिले हों या राज्य, के चुनावों को आगे बढ़ाने के लिए पूर्णकालिक नेता की आवश्यकता हो सकती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हालांकि अपने दूसरे कार्यकाल में नड्डा को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था। यह निर्णय एक स्पष्ट संकेत था कि एक अनुभवी नेता के रूप में नड्डा पार्टी के संगठनात्मक तंत्र को संभालेंगे। हालांकि नड्डा के संभावित विकल्प को लेकर अब तक कोई स्पष्टता नहीं हैं क्योंकि अधिकांश अनुभवी नेता, जिन्हें संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा था, वह अब सरकार का हिस्सा हैं।

धर्मेंद्र प्रधान या भूपेंद्र यादव जैसे नेताओं को संगठन मामलों का जानकार माना जाता है और संभावित पार्टी अध्यक्ष के रूप में इनके नामों की चर्चा भी होती रही है लेकिन दोनों ही नेता मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य बनाए गए हैं और दोनों को ही अहम विभागों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

इससे संकेत मिलता है कि पार्टी अपने राज्य के प्रमुख चेहरों या अपने राष्ट्रीय महासचिवों में से किसी को शीर्ष पद पर पदोन्नत कर सकती है।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा के कुछ प्रदेश अध्यक्षों को केंद्र या राज्य सरकारों में भूमिका देने के अलावा उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य नए चेहरों को मौका दिए जाने की संभावना है क्योंकि सबसे बड़े इस प्रदेश में भाजपा प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।

पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार केंद्रीय मंत्री बन गए हैं जबकि बिहार के उनके समकक्ष सम्राट चौधरी राज्य में उपमुख्यमंत्री हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी राज्य में पार्टी के प्रमुख हैं।

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी को पार्टी के सामाजिक समीकरण को साधने के लिए बदला जा सकता है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी उन्हीं की तरह ब्राह्मण हैं।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन ने उसके प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी पर ध्यान केंद्रित किया है।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी के चुनाव प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने के कारण संगठनात्मक चुनाव और बदलावों को रोक दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया अब सही मायने में शुरू होगी, खासकर चुनावों के दौरान कुछ राज्यों में उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन के बाद।

भाजपा ने लोकसभा में भले ही बहुमत खो दिया है लेकिन उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने आराम से 272 के जादुई आंकड़े को पार कर लिया है।