हरित योग का लक्ष्य पर्यावरण अनुकूल कदमों को योग के साथ एकीकृत करना है: केंद्रीय मंत्री जाधव

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Prataprao-Jadhav

नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किए जा रहे 10 प्रमुख कार्यक्रमों में से एक, हरित योग का उद्देश्य योग के साथ पर्यावरण अनुकूल कदमों को एकीकृत करना है और यह पूरे देश में काफी लोकप्रिय हो रहा है।

जाधव ने कहा कि 11वें वर्ष में प्रवेश के साथ 2025 का अंतरराष्ट्रीय योग दिवस महज एक स्मरणोत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रयासों को बढ़ाने और समाज के सभी वर्गों की योग तक पहुंच को बढ़ाने का एक सामूहिक आह्वान है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है।

जाधव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि हरित योग ने पहले ही भारत भर में 160 से अधिक विशेष कार्यक्रमों को प्रेरित किया है, जिनमें सफाई अभियान, पौधारोपण अभियान और प्राकृतिक स्थानों पर योग सत्र शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि तटीय क्षेत्रों से लेकर हिमालय की घाटियों तक पारिस्थितिकी और आसनों के बीच तालमेल को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।

जाधव ने कहा, ‘‘हम सभी पर्यावरण असंतुलन के हानिकारक प्रभावों- अनियमित बारिश, सूखा और अत्यधिक तापमान को देख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मां के नाम पर एक पेड़’ का नारा दिया था और हमने योग को पौधारोपण के साथ जोड़कर हरित योग शुरू करके उस संदेश को आगे बढ़ाया।’’

उन्होंने कहा कि सभी को अपने माता, पिता या स्वयं के नाम पर कम से कम एक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

जाधव ने कहा, ‘‘हरित योग ऐसी मुहिम है, जिसमें हम अपनी सांसों को धरती की लय के साथ जोड़ते हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल एक प्रतीकात्मक लेकिन गहरा व्यक्तिगत कदम है। बेहतर वातावरण योग के लाभों को बढ़ाता है, खासकर जब इसे साफ हवा में, खुले आसमान के नीचे, प्रकृति के करीब किया जाता है।’’

आयुष मंत्री ने कहा, ‘‘मूल विचार सरल किन्तु शक्तिशाली है: योग प्रकृति से अलग नहीं है; यह इसके साथ पनपता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में योग को वैश्विक मान्यता मिली है। हमें 21 जून को महज एक दिन का कार्यक्रम नहीं मनाना ​​चाहिए। योग को जीवन जीने का तरीका बनाना चाहिए। मैं सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में योगदान दें।”

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