हमारे दिमाग को ईश्वर ने बहुत ही फुर्सत से बनाया। इसकी सुरक्षा की पूरी-पूरी व्यवस्था की है। जैसे सिर को बचाने के लिए हमारे सिर पर बाल लहलहाते हैं, इसी कारण गंजों को ईवर से शिकायत रहती है।
खैर, ईश्वर ने हमें सोचने-समझने की अद्भुत क्षमता दी है। जगत में छोटा-बड़ा कुछ नहीं, कोई भी क्षमता प्रकट होती है, उसके पीछे सबसे बड़ा कर्ता-धर्ता अगर कोई है तो ईश्वर प्रदत्त हमारा दिमाग या मस्तिष्क।
मगर हम अपने दिमाग या मस्तिष्क को अपनी क्षमताओं से बाहर जाकर इस्तेमाल नहीं कर सकते। उसे दिन-रात सुबह-शाम मनमाना काम करने की इजाजत नहीं दे सकते। जिस तरह से हमारा शरीर विराम चाहता है, उसी तरह से हमारा मस्तिष्क भी विराम चाहता है।
भाग-दौड़ की जिंदगी में हमारा मस्तिष्क थक जाता है तो हमें चाहिए कि हम उसे विश्राम दें। एकलयता से उसे बचा लें।
अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती। इसलिए अपने दैनंदिन के कामों से फुर्सत पाकर या फुर्सत लेकर निम्नलिखित तरीके से अपने दिमाग को एकलयता से बचाना चाहिए-
* आप किचिन में जाकर अपने लिए व परिवार के लिए अच्छा सा डिश बना सकते हैं। अपने परिवार के किसी सदस्य या जीवन साथी के साथ कुछ पारिवारिक बातचीत कर सकते हैं।
साथ-साथ किचिन के छोटे-मोटे काम निपटा सकते हैं। कप, बाउल, ग्लास, पोट्स इन सबको नए लुक में सजा-संवारकर अपने मन को आनंद दे सकते हैं। ड्रांइग रूम व बेडरूम व पूरे घर को साफ कर सकते हैं। सजा सकते हैं।
* आप कुछ सेल्फ स्टडी भी कर सकते हैं। आप कोई अच्छी सी पत्रिका, उपन्यास या काव्य संग्रह पढ़कर अपने मन को आनंद दे सकते हैं। आप चाहें तो पेंटिंग, आर्ट वर्क, सिंपल क्रिएट्स के लिए भी समय निकाल सकते हैं।
* संगीत में अद्भुत जादू है। आप आंखें बंद कर कोई सुंदर सा इंस्ट्रूमेंटल सुन सकते हैं। शहनाई, बांसुरी आदि मन में अमृत डालते हुए मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। आपको राहत मिलती ही है।
* आपका मूड अगर मस्ती करने का है तो आपके लिए आपके बच्चे ही पर्याप्त होंगे। अगर आपके पति जॉली हैं तो संगीत की धुन पर एक साथ थिरककर मस्ती लूट सकते हैं। अपने परिवार के साथ टीवी पर एक अच्छा सा कॉमेडी शो देखकर आनंद उठा सकते हैं। आपका दिमाग एक हद तक बंट जाएगा।
* आप फैमिली फ्रेंड्स को बुलाकर मस्ती कर सकते हैं और अच्छा सा डिनर ले सकते है। आप किसी फैमिली फ्रेंड के घर जाने का प्रोग्राम भी बना सकते हैं। किसी स्थानीय पार्क का आनंद लेकर, डिनर लेकर रात तक घर लौट सकते हैं। आपका दिमाग एकलयता से बचा रहेगा।
उपरोक्त बिंदुओं का मनन करने पर आपको जब ऑफिस का काम संभालना पड़ता है, तब आप यह महसूस कर सकते हैं कि कई गुना ज्यादा ऊर्जा के साथ आप अपने काम को पूरा कर रहे हैं। आपके काम में मजा आ रहा है। आपको दबाव महसूस नहीं हो रहा है।
और तो और एक बड़ा सा इंटरवल (अवकाश) आपके लिए जरूरी होता है। आप कामकाजी है, सेल्फ बिजनेस करते हों या घर के काम संभालते हों, आप सालाना पंद्रह-बीस दिन का समय अपने लिए अवश्य निकालें। आप इस अवकाश को कुछ इस तरह प्रयोग कर सकते हैं-
* छुट्टियां शुरू होते ही अच्छे विशेषज्ञ के पास जाकर छोटी-बड़ी शारीरिक व मानसिक समस्याओं से निवृत्त हो जाएं। परिवार में किसी को कोई समस्या होती है तो भी यह कदम उठा सकते हैं।
* आप अपने परिवार के साथ अपने गांव की ओर रूख कर सकते हैं। भाग-दौड़ और हंगामे की व्यस्ततम जिंदगी से आप गांवों के वातावरण में जाते हैं तो आपको अच्छा लगेगा। आपका मस्तिष्क सुकून महसूस करेगा। आप शांति से क्रिएटिव वर्क भी कर सकते हैं।
* आप किसी हिल स्टेशन या प्राकृतिक स्थल पर जा सकते हैं। प्रकृति की तस्वीर हमारी आंखों से होते हुए हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती हैं और सुकून देते हैं। परिवार संग फोटो निकलवाने का यह अच्छा मौका होगा।
* आप अच्छे व प्रेम रखने वाले रिश्तेदार, मित्रों के यहां जा सकते हैं। नया-पुराना तथा बहुत सारा मंथन होगा तो आपके अंदर की भड़ास, नाराजगी, प्रेम, शिकायत, अपनापन- सबके सब बाहर निकल आते हैं। आपका मन हल्का हो जाता है तो आपका मस्तिष्क भी हल्का हो जाता है। आपके मन-मस्तिष्क में नए विचार आते हैं। आपको एक नई दिशा व दशा भी मिल सकती है।
* बड़ी छुट्टियों में आप निकट के रिश्तेदारों को भी बुला सकते हैं। आप कथा, पूजा, प्रार्थना सभा आदि का आयोजन कर आध्यात्मिक शक्ति व आनंद भी पा सकते हैं। सब मिलकर लोकल टूर का भी आनंद उठा सकते हैं। इससे आत्मीयता, पहचान व समझ बढ़ेगी, रिश्तेदारी मजबूत होगी।
इस तरह आप छुट्टियां बीत जाने के बाद पुराने काम पर लौटेंगे, पुरानी जगह पर लौटेंगे तो आपको एनर्जी टॉनिक मिल जाएगा और आपका मन मस्तिष्क फ्रेश होकर काम में लग जाएगा।
मगर एक बात याद रखें, चाहे थोड़ा सा अवकाश मिले या बड़ा सा, मस्ती-मनोरंजन करते-करते आपको इतना ख्याल अवश्य रखना चाहिए कि आपके खान-पान व नींद में खलल न हो। भरपूर सोएं, अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें, खुश रहें।