सिंगापुर, लंदन के एक शोधार्थी ने कहा है कि हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) और हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य बहुपक्षीय समूहों को अलग-अलग एजेंडा निर्धारित करने की जरूरत है और समान मुद्दों के समाधान में उन्हें एक दूसरे को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
दक्षिण एवं मध्य एशिया रक्षा, रणनीति एवं कूटनीति के लिए ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ (आईआईएसएस) के शोध छात्र विराज सोलंकी ने शुक्रवार को कहा, “प्रत्येक संगठन के भीतर सहयोग होना चाहिए तथा एक ही मुद्दे पर काम करते हुए एक दूसरे को प्रभावित नहीं करना चाहिए।”
सोलंकी ने ‘पीटीआई -भाषा’ से कहा, ‘‘क्या वे अलग-अलग मु्द्दे तैयार कर सकते हैं ताकि प्रत्येक समूह अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सके और एक दूसरे का सहयोग कर सके।”
उन्होंने कहा, ‘‘आईओआरए और हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी एवं हिंद महासागर आयोग जैसे अन्य समूह सुरक्षा से संबंधित कई समान मुद्दों पर काम कर रहे हैं, लेकिन वे सहयोग नहीं कर रहे हैं।’’
सोलंकी ने कहा कि भारत को मालदीव के साथ भी अपने संबंधों को पुनः सुधारने की जरूरत है।
उन्होंने 2019 के हाइड्रोग्राफिक (जलीय) सर्वेक्षण समझौते को नवीनीकृत न करने के मालदीव के फैसले का भी उल्लेख किया।
सोलंकी ने इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर और विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर के बीच हुई बैठक को एक अच्छा कदम बताया।
इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की गई।
सोलंकी ने कहा, ‘‘भारत और मालदीव के बीच विश्वास और अधिक मजबूत होना चाहिए, ताकि दोनों देश आईओआरए के साथ-साथ अन्य बहुपक्षीय क्षेत्रीय कार्यक्रमों पर काम करना जारी रख सकें।”