यह मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य की बात : मेजर राधिका सेन ने संरा के प्रतिष्ठित पुरस्कार पर कहा

संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा यहां प्रतिष्ठित सैन्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाली भारतीय शांतिरक्षक मेजर राधिका सेन ने कहा कि बहुपक्षीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए सम्मान और सौभाग्य की बात है।

‘यूनाइटेड नेशन्स ऑर्गेनाइजेशन स्टैबिलाइजेशन मिशन इन द डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ द कांगो’ (मोनुस्को) में सेवा दे चुकीं मेजर सेन को 30 मई को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस के मौके पर यहां विश्व निकाय के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा प्रतिष्ठित ‘2023 यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड’ प्रदान किया जाएगा।

मेजर सेन ने मंगलवार को यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह निश्चित तौर पर मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य का विषय है कि मुझे न केवल अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, बल्कि मेरे सभी सम्मानित सहयोगियों, मोनुस्को के शांतिरक्षकों और विशेष रूप से मेरे देश भारत का भी प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने की भावना को बयां नहीं किया जा सकता।’’

संयुक्त राष्ट्र की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मेजर सेन भारतीय त्वरित तैनाती बटालियन की कमांडर के तौर पर मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक कांगो गणराज्य के पूर्व में तैनात थीं।

वह मेजर सुमन गवानी के बाद इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाली दूसरी भारतीय शांति रक्षक हैं। मेजर गवानी ने दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में सेवा दी थी और उन्हें 2019 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मेजर सेन ने भारतीय दूतावास में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज से भी मुलाकात की। भारतीय राजदूत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मेजर राधिका सेन को कांगो में उत्कृष्ट सेवा के लिए 30 मई को यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। उनका समर्पण और बहादुरी एक बेहतर दुनिया के निर्माण में महिला शांतिरक्षकों की अमूल्य भूमिका को दर्शाता है।’’

हिमाचल प्रदेश में 1993 को जन्मी मेजर सेन आठ साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुईं। उन्होंने बायोटेक इंजीनियर के तौर पर स्नातक किया। जब उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया था, उस समय वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई से परास्नातक की पढ़ाई कर रही थीं।

मेजर सेन को उनकी सेवा के लिए बधाई देते हुए गुतारेस ने कहा कि वह एक ‘‘सच्ची नेता और आदर्श हैं। उनकी सेवा समग्र रूप से संयुक्त राष्ट्र के लिए एक योगदान है।’’

मेजर सेन ने कहा कि आज की दुनिया में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि महिलाएं एक-दूसरे का समर्थन करें और समाज में व्याप्त भेदभाव से लड़ें।

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही पुरुषों के लिए भी हर क्षेत्र में महिलाओं, महिलाओं के नेतृत्व का समर्थन करना बहुत महत्वपूर्ण है।’’

अभी संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाली महिला सैन्य शांतिरक्षकों में भारत का 11वां सबसे बड़ा योगदान है।