रूस-बेलारूस से लगी सीमा पर किलेबंदी करने की पोलैंड की योजना

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वारसा, नाटो सदस्य पोलैंड के रक्षा अधिकारियों ने सोमवार को रूस और रूसी सहयोगी बेलारूस के साथ अपनी पूर्वी सीमा पर लगभग 700 किलोमीटर लंबी सरहद की किलेबंदी और अवरोधों के माध्यम से जमीनी सैन्य रक्षा एवं ड्रोन-रोधी निगरानी को मजबूत करने के लिए एक योजना पेश की।

सरकार का पोलैंड पड़ोसी यूक्रेन का रूस की आक्रामकता के खिलाफ चलाए जा रहे रक्षात्मक कदमों का समर्थन करता है। उसने कहा कि पोलैंड रूस और बेलारूस की शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों का निशाना बन रहा है। इनमें साइबर हमले, आगजनी का प्रयास और अवैध रूप से सीमा पार से प्रवासियों की गैरकानूनी घुसपैठ करना शामिल है। अधिकारी इन प्रयासों को यूरोपीय संघ को अस्थिर करने का इरादा बताते हैं, जिसका पोलैंड सदस्य है।

सरकार ने प्रतिरोध करने की अपनी प्राथमिक भूमिका पर जोर देते हुए सैन्य हमले की स्थिति के मद्देनजर तैयारी कर रही है।।

प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की सरकार ने साइबरस्पेस सहित कई सुरक्षा उपायों की योजना बनाई है। साथ ही पूर्वी सीमा पर निगरानी, ​​​​प्रतिरोध और रक्षा को मजबूत करने के लिए 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की योजना बनाई है। यह प्रणाली शील्ड-ईस्ट के नाम से जानी जाती है और यह 2028 में पूरी हो जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि इस पर काम शुरू हो गया है।

अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की सरकार ने साइबरस्पेस सहित कई सुरक्षा उपायों की योजना बनाई है। साथ ही पूर्वी सीमा पर निगरानी, ​​​​घेरा बनाने और रक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की योजना बनाई है। शील्ड-ईस्ट नामक इस प्रणाली पर काम शुरू हो गया है और 2028 में यह पूरा हो जाएगा।

रक्षा मंत्री व्लादिस्लाव कोसिनियाक-कामिज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “शील्ड का लक्ष्य पोलैंड के क्षेत्र की रक्षा करना, हमारे विरोधी सैनिकों के आवागमन को बाधित करना हमारे सैनिकों की आवाजाही को सुगम बनाना और नागरिकों की रक्षा करना है।” उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय ऐसे कदमों की आवश्यकता को समझता है।