नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत का बढ़ता प्रभाव यह सुनिश्चित करेगा कि विश्व व्यवस्था में संपूर्ण संतुलन स्वतंत्रता, खुलापन, पारदर्शिता और नियम आधारित व्यवस्था के पक्ष में बना रहे।
‘निक्की एशिया फ्यूचर ऑफ एशिया फोरम’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर की यह टिप्पणी चीन के आर्थिक अधिपत्य रखने वाला देश बनने का प्रयास करने के बीच आई है।
जयशंकर ने कहा कि विश्व बदलाव के दौर से गुजर रहा है जो भू-राजनीति, भू-अर्थव्यवस्था और भू-प्रौद्योगिकीय विकास द्वारा संचालित हो रहा तथा एशिया एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र के इस परिर्वतन का हिस्सा रहने के साथ, विश्व व्यवस्था वर्तमान में तनाव का सामना कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम जो कुछ देख रहे हैं वह महज परिवर्तन नहीं है, बल्कि कहीं अधिक जोखिम भी लिया जा रहा है। यूक्रेन में संघर्ष, पश्चिम एशिया में हिंसा तथा एशिया एवं हिंद-प्रशांत में अंतरराष्ट्रीय कानून और समझौतों का असम्मान किये जाने में यह नजर आ रहा है।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि शायद कहीं अधिक चिंता पैदा करने वाले इसके आर्थिक आयाम हैं। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला चुनौती, वैश्वीकरण से उत्पन्न अत्यधिक सकेंद्रण और राष्ट्रों द्वारा आर्थिक वर्चस्व का इस्तेमाल जोर पकड़ रहा है।
मंत्री ने कहा कि समान रूप से प्रौद्योगिकी चुनौती भी महत्वपूर्ण है जिसने अंतर-निर्भरता के एक नये स्तर का निर्माण किया है जिसके परिणामस्वरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), हरित एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकियों ने उम्मीद एवं चिंता बढ़ाई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कई आर्थिक संबंधों में महत्वपूर्ण बन गई है।
जयशंकर ने कहा कि भारत का एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरना एशिया में बहुध्रुवीयता को मजबूत करने के लिए जरूरी है जो बहुध्रुवीय विश्व के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का बढ़ता प्रभाव यह सुनिश्चित करेगा कि विश्व व्यवस्था में संपूर्ण संतुलन स्वतंत्रता, खुलापन, पारदर्शिता और नियम आधारित व्यवस्था के पक्ष में बना रहे।’’
उन्होंने उल्लेख किया, ‘‘समान रूप से, इसकी जिम्मेदारी की अधिक भावना और अधिक योगदान भी एक अंतर पैदा कर रहा है। भारतीय नौसेना के पोत वर्तमान में लाल सागर में संचालित हो रहे हैं ताकि समुद्री नौवहन की सुरक्षा की जा सके।’’