ताइपे, 24 मई (एपी) ताइवान ने कहा कि उसके तट के पास चीन की सेना के व्यापक अभ्यास के दूसरे दिन शुक्रवार को दर्जनों चीनी युद्धक विमान और नौसैन्य पोत देखे गए।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का कहना है कि उसका यह अभ्यास ताइवान के नए राष्ट्रपति के उद्घाटन भाषण के जवाब में है।
चीन ने मीडिया को व्यापक फुटेज जारी किए हैं जिनमें ताइवान को ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के बलों से घिरा दिखाया गया है।
शुक्रवार को एक नए वीडियो में ‘एनिमेटेड’ चीनी सेनाओं को हर तरफ से आते हुए और ताइवान को घिरा दिखाया गया है।
ताइवान की आबादी 2.3 करोड़ है और इस घटनाक्रम के बावजूद यहां के लोगों में इसे लेकर कोई खास चिंता नहीं दिखाई दे रही।
ताइवान की संसद में शुक्रवार को अभियानगत उपायों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच काफी विवाद हुआ वहीं ताइपे में कारोबार सामान्य रूप से जारी रहा।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसे 49 युद्धक विमान और 19 नौसैन्य पोत के साथ-साथ चीनी तट रक्षक जहाजों के होने का भी पता चला है और बृहस्पतिवार से शुक्रवार तक 24 घंटे की अवधि में 35 विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य में उड़ान भरी। यह दोनों पक्षों के बीच की वास्तविक सीमा है।
समुद्री और तट रक्षक पोतों, हवाई और जमीन-आधारित मिसाइल इकाइयों को खासतौर पर ताइवान नियंत्रित किनमेन और मात्सु द्वीप शृंखलाओं के आसपास अलर्ट पर रखा गया है।
ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने बृहस्पतिवार को राजधानी ताइपे के दक्षिण में ताओयुआन में एक नौसैन्य अड्डे का दौरा किया और नाविकों तथा शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों से कहा, ‘‘हम बाहरी चुनौतियों और खतरों का सामना कर रहे हैं। हम स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखेंगे।’’
इससे पहले लाई ने सोमवार को अपने उद्घाटन भाषण में कहा था कि ताइवान ‘‘एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र है जिसमें संप्रभुता लोगों के हाथों में है।’’ उन्होंने साथ ही बीजिंग से अपनी सैन्य धमकी को रोकने को कहा था।
वहीं चीन की सेना ने कहा कि ताइवान के आसपास उसका दो दिवसीय अभ्यास स्वतंत्रता चाहने वाली अलगाववादी ताकतों के लिए सजा के समान है।
चीन में ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता चेन बिनहुआ ने बृहस्पतिवार रात एक बयान में कहा, ‘‘ताइवान के नेता ने पदभार संभालते ही एक-चीन सिद्धांत को चुनौती दी और खुलेआम द्वि-राष्ट्र सिद्धांत पर बात की।’’
‘एक-चीन सिद्धांत’ के अनुसार चीन केवल एक है और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन के तहत ताइवान भी चीन का ही हिस्सा है। चीन का मानना है कि ताइवान को मुख्य भूमि के साथ जोड़ा जाना चाहिए भले ही इसके लिए बल प्रयोग करना पड़े।