नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) टायर विनिर्माताओं के निकाय एटीएमए ने सोमवार को कहा कि देश में टायर विनिर्माण की पर्याप्त क्षमता है लिहाजा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के जरिये शुल्क रियायतें देकर आयात को उदार नहीं बनाया जाना चाहिए।
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने केंद्र को दिए सुझाव में कहा है कि वाहन टायर उन क्षेत्रों में सबसे आगे हैं जहां घरेलू विनिर्माण क्षमताएं आयात को गैरजरूरी बना सकती हैं।
एटीएमए ने बयान में कहा कि भारत के पास आत्मनिर्भर होने की क्षमता वाले उद्योगों के बारे में मांगे गए सुझावों के संदर्भ में उसने सरकार को अपनी राय से अवगत करा दिया है। घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए आगामी एफटीए का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने सुझाव मांगे थे।
उद्योग निकाय ने कहा है कि एफटीए के माध्यम से शुल्क रियायतें देकर आयात को उदार नहीं बनाया जाना चाहिए।
उसने भारत के घरेलू टायर उद्योग को दुनिया में सबसे बड़ा बताते हुए कहा है कि दोपहिया, यात्री वाहन, वाणिज्यिक वाहन सहित विभिन्न श्रेणियों में वार्षिक उत्पादन 20 करोड़ इकाई से अधिक है।
एटीएमए ने कहा कि पर्याप्त विनिर्माण क्षमताओं के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तीन तिमाहियों में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के टायर आयात किए गए, जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 27 प्रतिशत अधिक है।
एटीएमए के चेयरमैन अर्नब बनर्जी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में अग्रणी टायर निर्माताओं ने क्षमता विस्तार, प्रौद्योगिकी उन्नयन और शोध एवं विकास पर 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। नई इकाइयों में उत्पादन शुरू होने के साथ मांग की पूर्ति आयात के बजाय घरेलू विनिर्माण से करना अहम है।’’
बयान के मुताबिक, टायर के घरेलू विनिर्माण को प्राथमिकता देना इसलिए भी जरूरी है कि 10 लाख से अधिक रबड़ उत्पादकों की आजीविका टायर उद्योग पर निर्भर करती है जो 70 प्रतिशत से अधिक घरेलू प्राकृतिक रबड़ की खपत करता है।