अमेरिका पूरी दुनिया का चौधरी बनता है, वो कुछ भी करे लेकिन कोई उसे आंख नहीं दिखा सकता । जो देश पूरी दुनिया में मानवाधिकारों का सबसे बड़ा रक्षक होने का दावा करता है, उसने न जाने कितने देशों को बर्बाद करके रख दिया है। करोड़ों लोगों की हत्या का जिम्मेदार ये देश है। अमेरिका खुद को लोकतंत्र को सबसे बड़ा समर्थक बताता है लेकिन इसने दुनिया में कितने ही देशों की लोकतांत्रिक सरकारों को गिराकर उनकी जगह तानाशाही सरकार बनवा दी है । इस्लाम में आतंकवाद पैदा करने वाला यही देश है और अब इस्लामिक आतंकवाद का ढिंढोरा पीटता है ।
अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, वियतनाम, कंबोडिया, जापान आदि कई देशों में नरसंहार करने वाला खुद को मानवता का रक्षक बताता है । अमेरिका की विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में मणिपुर की घटनाओं को लेकर चिंता जताई गई है और कहा गया है कि हम इस पर नजर रख रहे हैं । बीबीसी पर आयकर विभाग की कार्यवाही को लेकर भी आपत्ति की गई है । इसके अलावा राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने पर भी सवाल खड़े किये गये हैं । केजरीवाल को जब ईडी ने अपनी हिरासत में लिया था तब भी अमेरिका और उसके कुछ दोस्तों में इस कार्यवाही पर सवाल खड़े किये थे । अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में दखल देने को अपना अधिकार समझते हैं । वो ऐसा सिर्फ भारत के मामले में नहीं करते हैं बल्कि दुनिया के कई देशों के साथ इनका यही रवैया है । वास्तव में ये देश अभी भी साम्राज्यवादी मानसिकता के बाहर नहीं निकल पाये हैं । इनको लगता है कि एशिया और अफ्रीका के देश अपना भला बुरा नहीं सोच सकते, ये अगर न हो तो इन देशों को न जाने क्या होगा ? चीन और रूस पहले ही अमेरिका को उसकी औकात दिखा रहे हैं लेकिन भारत भी अब इसमें शामिल हो गया है । ऐसा नहीं है कि भारत अब शामिल हुआ है, पिछले कई सालों से भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चल रहा है । अमेरिका और उसके दोस्तों की परवाह करना भारत ने छोड़ दिया है । विशेष रूप से रूस के खिलाफ कार्यवाही में भारत ने इन देशों का साथ नहीं दिया है ।
भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इजरायल के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर उसे आईना दिखा दिया है । भारत ने कहा है कि अमेरिका जैसे लोकतान्त्रिक देशों को अपने लोकतान्त्रिक साथी देशों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए । हमारे देश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बड़ा गजब बयान दिया है । मुझे नहीं लगता कि इस लहजे में कभी भारत की तरफ से अमेरिका को जवाब दिया गया होगा । उन्होंने कहा है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो रहे विरोध प्रदर्शन चिंताजनक हैं । अमेरिका अभिव्यक्ति की आजादी को दबा रहा है। अमेरिका में हो रही इस घटना पर हमारी पैनी नजर है। आपको पता है कि दुनिया में कहीं भी कुछ हो, उस पर पैनी नजर रखने का ठेका सिर्फ अमेरिका के पास है । वो दूसरे देशों में होने वाली घटनाओं पर ऐसे बयान देता रहता है । अब उसके देश में हो रही घटना पर भारत भी पैनी नजर रख रहा है ।
देखा जाये तो ये बहुत तीखी प्रतिक्रिया है और ये अमेरिका को बहुत चुभने वाली है । अमेरिका को समझना होगा कि ये बदला हुआ भारत है और अब उनकी ज्यादा धौंस सहने वाला नहीं है । भारत ने कहा है कि हम सभी को इस आधार पर परखा जाना चाहिए कि हम अपने घर में क्या कर रहे हैं. हमारी बयानबाजी से हमें परखा नहीं जाना चाहिए । रणधीर जायसवाल ने कहा है कि वीरवार को भारत में मानवाधिकार की स्थिति की एकदम गलत तस्वीर पेश करने वाली अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट को खारिज किया जाता है । इस रिपोर्ट में मणिपुर में मानवाधिकार की स्थिति की गलत तस्वीर पेश की गई है, इससे पता चलता है कि भारत को लेकर उनकी समझ बहुत कम है । उन्होंने मीडिया से कहा है कि हम इस रिपोर्ट को बिल्कुल तवज्जो नहीं देते हैं और आप भी इस रिपोर्ट को तवज्जो न दें ।
इजरायल-हमास युद्ध के खिलाफ अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं, इनको नियंत्रण में लाने के लिए कई जगहों पर पुलिस को बुलाया गया है । आंदोलन को कवर करने वाले मीडिया कर्मियों को धक्के मार कर घटनास्थल से भगाया जा रहा है । उन्हें फोटो लेने से रोका जा रहा है, पुलिस उन्हें पीट रही है । देखा जाए तो अमेरीका की कोशिश है कि खबर को दबाया जाए या पूरी सच्चाई दुनिया के सामने न आ सके । अमरीका अपनी छवि बचाने के लिए मीडिया का गला घोंट रहा है । लेख लिखे जाने तक अमेरिका में पुलिस ने सौ से ज्यादा छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है। आंदोलनकारियों पर पुलिस सख्ती कर रही है, उनकी आवाज दबाई जा रही है । विरोध प्रदर्शनों के कारण कई विश्वविद्यालयों ने अपने परिसर को बंद कर दिया है । उधर यहूदी छात्रों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन यहूदी विरोधी भावना में बदल गये हैं । पिछले दिनों यूरोप के कई देशों में भी ऐसे ही विरोध प्रदर्शन हुए थे । ऐसे प्रदर्शन किसी भी देश में हो सकते हैं लेकिन इससे किसी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं मिल जाता ।
अमेरिका और उसके साथी देश वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं । देखा जाए तो वो ऐसी घटनाओं की आड़ में दूसरे देशों को दबाना चाहते हैं । अपनी रिपोर्ट में अमेरिका ने मणिपुर की घटनाओं का उल्लेख इसलिए किया है क्योंकि वो बताना चाहता है कि भारत में ईसाइयों के साथ सही व्यवहार नहीं हो रहा है और उसे उनकी बहुत चिंता है । रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा में 175 से अधिक लोग मारे गये हैं । इन घटनाओं में मानवाधिकारों के हनन की बात की गई है । देखा जाए तो यह भारत का अंदरूनी मामला है और सरकार अपने तरीके से मामले को देख रही है लेकिन अमेरिका इस बहाने भारत की ईसाई विरोधी छवि बनाना चाहता है । राहुल गांधी की सदस्यता भारत सरकार ने नहीं छीनी थी बल्कि अदालत के एक फैसले के कारण उनकी सदस्यता चली गई थी और एक दूसरे फैसले के कारण वापस मिल गई । क्या अमेरिका यह चाहता है कि भारत सरकार अपनी न्यायपालिका को निर्देश दे । भारत में एक स्वतंत्र न्यायपालिका है और उस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है । यह बात अमेरिका अच्छी तरह से जानता है लेकिन जानबूझकर भारत को बदनाम करने के लिए उसने यह मुद्दा अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है ।
केजरीवाल के मुद्दे पर भी अमेरिका ने भारत को उपदेश देने की कोशिश की थी जबकि केजरीवाल को भी अदालत ने ही जेल भेजा है । अमेरिका को यह बताना चाहिए कि उसे केजरीवाल और राहुल गांधी की इतनी चिंता क्यों है ? हेमंत सोरेन, मनीष सिसोदिया और सतेन्द्र जैन भी जेल में हैं, उनके बारे में क्यों बात नहीं की गई है । हेमंत सोरेन तो एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं जबकि केजरीवाल तो आधे राज्य का मुख्यमंत्री है । राहुल गांधी तो सिर्फ सांसद हैं । यह देखने में आ रहा है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की कुछ संस्थाएं भारत की छवि खराब करने की कोशिश करती रहती हैं । भारत की तुलना में पाकिस्तान को हैपिनेस इंडेक्स में भारत से ऊपर रखा गया है जबकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और पाकिस्तान आर्थिक बर्बादी पर खड़ा तानाशाही सरकार वाला देश है । जहां लोगों को खाने के लिए आटा भी नहीं मिल रहा है, वो देश भारत से ज्यादा खुशहाल है । देखा जाए तो ये संस्थाएं अपनी सरकारों के इशारे पर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करती रहती हैं । यहां तक कि जिन देशों में अराजकता फैली हुई है और सरकार नाम की कोई चीज नहीं है, कई मामलों में उन देशों को भी भारत से ऊपर रखा जाता है ।
वास्तव में भारत की बढ़ती ताकत से अमेरिका और पश्चिमी देश जलने लगे हैं और भारत को नीचा दिखाने को कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते । बीबीसी पर आयकर विभाग की कार्यवाही को बीबीसी ने खुद सही माना था लेकिन फिर भी भारत को इस कार्यवाही के नाम पर बदनाम किया गया । पश्चिमी देशों की संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि उनके मन में भारत के प्रति दुराग्रह भरा हुआ है । विदेश मंत्री जयशंकर सही कहते हैं कि यूरोप सोचता है कि पूरी दुनिया उसके हिसाब से चले । उनका कहना सही है कि वो सोचते हैं कि उनकी समस्या दुनिया की समस्या है और हमारी समस्या सिर्फ हमारी समस्या है । अमेरिका और यूरोप को समझना चाहिए कि अब उनकी मनमर्जी पूरी दुनिया पर चलने वाली नहीं है । वो अपने तरीके से दुनिया को चलाने की कोशिश छोड़ दें । भारत ने अमेरिका को जवाब देकर उसकी सही जगह दिखा दी है और यह बता दिया है कि अब भारत अपने मामलों में किसी दूसरे देश की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा ।