प्रार्थना भी करती है दवा का काम

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धार्मिक दृष्टिकोण से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में प्रार्थना का आज भी महत्त्व बरकरार है। आज भी यह माना जाता है कि प्रार्थना किए बिना ईश्वराधना अधूरी है परन्तु अब तमाम शोधों से ये भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रार्थना का औषधीय महत्त्व भी है अर्थात् ये रोगों के निवारण में भी अचूक औषधि का काम करती है।
जर्नल आॅफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जामा) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रार्थना से रोगियों की दशा में सुधार आता है।
मिडा अमेरिका हार्ट इंस्टीट्यूट में हाल में भरती हए कोरोनरी यूनिट के 1000 से अधिक हृदयरोगियों पर यह अध्ययन किया गया। इनमें से 484 रोगियों को प्रार्थना करने वाले दल को सौंपा गया। लगभग 529 रोगियों को सामान्य देखभाल करने वाले दल को सौंपा गया था। प्रार्थना वाले दल को रोगियों का केवल नाम बताया गया था, जाति नहीं। वे चार सप्ताह तक उनके लिए प्रार्थना करने वाले थे। प्रार्थना करने पाले व्यक्तियों को  उनके दृढ़ विश्वास के आधार पर चुना गया था।
उपरोक्त जर्नल के मुताबिक अध्ययन में प्रार्थना वाले दल के रोगियों को कम समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें तेजी से अपने रोगों में लाभ भी मिला।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शल्यक्रिया के एडीशनल प्रोफेसर डा. अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि हर बार आपरेशन करने से पहले मैं हर संभव समस्या के लिए प्रार्थना करता हूं कि यह न हो। अक्सर इससे नतीजेे अच्छे रहते हैं और शल्यक्रिया के बाद होने वाली अधिकांश समस्याएं खड़ी नहीं होती।
निदान चिकित्सा की विशेषज्ञ डा. अंजली मिना का कहना है कि अपने अनुभवों के आधार पर उन्हें विश्वास हो गया है कि यदि प्रार्थना पूर्ण विश्वास से की जाए तो प्रार्थना का सकारात्मक प्रभाव होता है। वे आगे कहती हैं कि मुझे नहीं पता कि प्रार्थना किस तरह कार्य करती है पर यदि आप इसमें ऊर्जा लगाएं और ध्यान केंद्रित करें तो मदद मिलती है।
अध्ययन में नतीजों के बारे में कोई यांत्रिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है लेकिन आध्यात्मिक गुरूओं के पास एक संभव स्पष्टीकरण है। आध्यात्मिक गुरू विकास मलकानी कहते हैं कि प्रार्थना दरअसल अपनी सकारात्मक ऊर्जा को बाहर भेजता है। इसे किसी की ओर विशेष रूप से केंद्रित किया जा सकता है।
दिल्ली के चिन्मयानंद मिशन के प्रमुख स्वामी ज्योतिर्मयानंद भी ऐसा ही मानते हैं। प्रार्थनाओं और विचारों का संप्रेषण निश्चय ही संभव है। यह निर्भर इस पर होता है कि आपकी संपे्रषण शक्ति कितनी सशक्त है। पहले आपको अपने माध्यम को तैयार करना और तीव्र बनाना होगा। ऐसा हो जाएगा तो प्रार्थनाएं संप्रेषित भी की जा सकेंगी और वांछित रोगमुक्ति के वांछित परिणाम भी पाए जा सकेंगे। 

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