मुंबई, 13 मई ,विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत रूसी परमाणु रिएक्टर के लिए अतिरिक्त स्थानों की तलाश कर रहा है, जबकि प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए फ्रांस के साथ चर्चा जारी है।
अन्य देशों के साथ परमाणु सहयोग उम्मीद के अनुरूप आगे नहीं बढ़ने से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि जिस तरीके से परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम,2010 तैयार किया गया, विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के साथ काफी बातचीत करने की जरूरत है ताकि उनकी चिंताओं का समाधान किया जा सके।
उन्होंने मुंबई में संवाददाता सम्मेलन में, अमेरिकी कंपनियों के संदर्भ में कहा, ‘‘इसमें कुछ वक्त लगा और ऐसा कुछ देशों के साथ हुआ है।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक कुछ अन्य देशों की बात है, जहां दायित्व के मुद्दे को बेहतर ढंग से समझा गया या जहां इतनी चिंता नहीं है, क्योंकि उनके उद्योग की प्रकृति बहुत अलग है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी चर्चा जारी है, कुडनकुलम में (रूस के सहयोग से) प्रगति हुई। हम रूसी रिएक्टर के लिए अतिरिक्त स्थानों की तलाश कर रहे हैं। जहां तक फ्रांसीसी रिएक्टर की बात है हम उनके साथ बातचीत कर रहे हैं।’’
विदेश मंत्री के पिछले साल दिसंबर में रूस के दौरे पर, दोनों पक्षों ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की विद्युत उत्पादन इकाइयों के निर्माण से जुड़े कुछ बहुत महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे।
रूस ने कुडनकुलम में 1,000 मेगावाट के चार परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाये हैं और इतनी ही क्षमता के दो और रिएक्टर का निर्माण कर रहा।
भारत ने 2008 में अमेरिका और फ्रांस के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इन समझौतों के बाद मीठी वीरडी और कोवाडा, अमेरिका को तथा जैतापुर फ्रांस के लिए आवंटित किये गए।
हालांकि, ये परियोजनाएं कई कारणों से शुरू नहीं हो सकीं जिनमें एक कारण परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम,2010 के कठोर प्रावधान हैं।