मोदी सरकार के कार्यकाल में कुल 51.40 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार पैदा हुएः स्कॉच रिपोर्ट

Untitled-1

नयी दिल्ली, घरेलू शोध संस्थान स्कॉच की एक रिपोर्ट में सोमवार को दावा किया गया कि नरेन्द्र मोदी सरकार के 10 वर्षों के शासनकाल में 51.40 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार पैदा हुए हैं।

मानव-वर्ष या व्यक्ति-वर्ष एक साल में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य की मात्रा को घंटों में आंकने वाली एक इकाई है।

‘मोदीनॉमिक्स का रोजगार सृजनात्मक प्रभाव: प्रतिमान में बदलाव’ शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट 80 केस अध्ययन पर आधारित है। इसमें कर्ज लेने वाले उधारकर्ताओं और विभिन्न सरकारी योजनाओं के आंकड़ों को शामिल किया गया है।

स्कॉच ग्रुप ने एक बयान में कहा, ‘‘वर्ष 2014-24 के दौरान कुल 51.40 करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं। इनमें 19.79 करोड़ रोजगार शासन-आधारित हस्तक्षेपों की वजह से सृजित हुए हैं। बाकी 31.61 करोड़ रोजगार में ऋण-आधारित हस्तक्षेपों का योगदान रहा है।’’

स्कॉच ग्रुप सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर काम करने वाला एक घरेलू शोध संस्थान है। यह 1997 से ही समावेशी विकास पर काम कर रहा है।

बयान के मुताबिक, वर्तमान अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सूक्ष्म कर्ज का इस्तेमाल स्थिर और टिकाऊ रोजगार सृजन के लिए किया जा रहा है।

स्कॉच ग्रुप के चेयरमैन और इस रिपोर्ट के लेखक समीर कोचर ने कहा, ‘‘हमने अपने दौरों में 80 केस अध्ययन के दस्तावेज जुटाए हैं। इसमें कर्ज लेने वाले कई उधारकर्ताओं को शामिल किया गया है और एक कर्ज राशि पर औसतन 6.6 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए हैं।’’

इस अध्ययन में 12 केंद्रीय योजनाओं को शामिल किया गया है। इनमें मनरेगा, पीएमजीएसवाई, पीएमए-जी, पीएमएवाई-यू, आरएसईटीआई, एबीआरवाई, पीएमईजीपी, एसबीएम-जी, पीएलआई और पीएम स्वनिधि जैसी योजनाएं शामिल हैं।

अध्ययनों से पता चला है कि पिछले नौ वर्षों में ऋण अंतराल (जीडीपी के अनुपात में कर्ज का अंतर) में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसने ऋण अंतराल में कटौती, बहुआयामी गरीबी में कमी और एनएसडीपी में वृद्धि के बीच एक सकारात्मक संबंध भी दिखाया है।

कोचर ने कहा, ‘‘हमने 2014-24 की अवधि में ऋण-आधारित हस्तक्षेपों और सरकार-आधारित हस्तक्षेपों का अध्ययन किया है। जहां ऋण-आधारित हस्तक्षेपों ने प्रति वर्ष औसतन 3.16 करोड़ रोजगार जोड़े हैं, वहीं सरकार-आधारित हस्तक्षेपों से 1.98 करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं।’’

यह रिपोर्ट इस लिहाज से अहम है कि इसमें औपचारिक स्रोतों से संरचनात्मक ऋण के रोजगार सृजन पर प्रभाव और आंशिक रोजगार एवं इसके निदान का अध्ययन किया गया है।