लोकसभा चुनाव में अमेठी की जगह रायबरेली जाकर राहुल ने चला ‘बड़ा दांव’

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नयी दिल्ली,  राहुल गांधी खुद को भारतीय राजनेताओं में शतरंज का सबसे अच्छा खिलाड़ी बताते हैं और ऐसा लगता है कि अपने पहले निर्वाचन क्षेत्र अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने का निर्णय लेकर उन्होंने चुनावी बिसात पर बड़ी चाल चल दी है।

राहुल गांधी को उम्मीद है कि उनकी इस चाल से विरोधी चारों खाने चित्त हो जाएंगे लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसे कायरतापूर्ण तरीके से मैदान छोड़ने के तौर पर देख रही है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक पोस्ट में बहुप्रतीक्षित फैसले पर कहा, “वह राजनीति और शतरंज के अनुभवी खिलाड़ी हैं। पार्टी नेतृत्व काफी विचार-विमर्श के बाद और एक व्यापक रणनीति के तहत अपने फैसले लेता है। इस एक फैसले ने भाजपा, उसके समर्थकों और उसके चाटुकारों को भ्रमित कर दिया है।”

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, “भाजपा के स्वयंभू चाणक्य, जो ‘परंपरागत सीट’ के बारे में बात करते थे, अब समझ नहीं पा रहे हैं कि कैसे प्रतिक्रिया दें।”

रमेश द्वारा शतरंज का संदर्भ कांग्रेस द्वारा इस खेल में उनकी (राहुल की) रुचि और राजनीति के साथ इसकी समानता के बारे में बात करते हुए गांधी का एक वीडियो जारी करने के कुछ दिनों बाद आया है। वीडियो में जब गांधी से पूछा गया कि भारतीय राजनेताओं में सबसे अच्छा शतरंज खिलाड़ी कौन है, तो उन्होंने कहा था, “मैं”।

गांधी ने शुक्रवार को रायबरेली लोकसभा सीट के लिए नामांकन प्रक्रिया बंद होने से बमुश्किल एक घंटे पहले दोपहर में उत्तर प्रदेश के इस निर्वाचन क्षेत्र से अपना पर्चा दाखिल किया।

अपराह्न करीब दो बजे जब उन्होंने अपना पर्चा दाखिल किया तो उनके साथ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा भी मौजूद थीं।

गांधी ने 2004 में अमेठी से चुनावी मैदान में कदम रखा था और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सत्ता में रहने के दौरान पहले 10 वर्षों में उन्हें अपेक्षाकृत आसानी से सफलता मिली, जबकि पिछले 10 वर्ष चुनौतीपूर्ण रहे हैं।

उन्होंने 2014 का चुनाव भाजपा की स्मृति ईरानी के खिलाफ एक लाख से अधिक वोटों से जीता था, लेकिन इसके बाद उन्होंने (स्मृति ने) एक आक्रामक प्रचार अभियान चलाया और कांग्रेस के गढ़ अमेठी में सेंध लगाने में कामयाब हो गईं।

उन्होंने 2019 में गांधी परिवार के उत्तराधिकारी को 55,000 से अधिक वोटों से हराकर अमेठी सीट जीत ली। गांधी का दो सीटों से चुनाव लड़ने का ‘प्लान बी’ हालांकि काम कर गया और केरल के वायनाड से उन्होंने जीत हासिल की, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि संसद में उनका कार्यकाल जारी रहेगा।

गांधी के कुछ पहले के चुनावी दांव, जैसे कि राफेल मुद्दे पर कांग्रेस के 2019 के चुनाव अभियान को आगे बढ़ाना असरकारी नहीं दिखा लेकिन गांधी इस पर अड़े रहे और अडाणी मुद्दे सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपना हमला जारी रखा।

उन्हें विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ा है और अक्सर उन्हें “अनिच्छुक राजनीतिज्ञ” या “अंशकालिक राजनीतिज्ञ” भी करार दिया गया है, लेकिन वह इस तरह की आलोचना से अप्रभावित रहे हैं।

कुछ हफ्ते पहले गाजियाबाद में एक प्रेस वार्ता में गांधी ने उन्हें “गैर-गंभीर” राजनेता करार देने के लिए मीडिया पर कटाक्ष किया था। उन्होंने मनरेगा योजना, भूमि अधिग्रहण विधेयक, भट्टा पारसौल आंदोलन, नियमगिरि हिल्स मामले में अपनी भागीदारी का हवाला दिया था और मीडिया से सवाल किया था कि क्या ये सब “गैर-गंभीर था और जब मीडिया अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय और विराट कोहली के बारे में बात करता है तो क्या वह गंभीर विषय होते हैं।’’

राहुल गांधी ने 2004 में भारतीय राजनीति में कदम रखा और अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा। यह वही सीट थी जिसका प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी (1999-2004) और उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी ने 1981-91 के बीच किया था।

राहुल गांधी लगभग तीन लाख मतों के भारी अंतर से जीते। 2009 में वह फिर जीते लेकिन 2014 में उनकी जीत का अंतर कम हो गया और 2019 में ईरानी से हार गए। उनकी इस बात के लिए आलोचना की गई थी कि उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में पर्याप्त समय नहीं बिताया, जिससे भाजपा को कांग्रेस के किले में सेंध लगाने का मौका मिला।

गांधी को 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और 16 दिसंबर, 2017 को उन्होंने पार्टी की कमान संभाली। लोकसभा चुनावों में हार के बाद उन्होंने मई 2019 में अध्यक्ष पद छोड़ दिया।

इसके बाद से राहुल ने देशभर में यात्राएं निकालीं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पैदल यात्रा के अलावा उन्होंने मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा भी की। कांग्रेस नेताओं ने इन पहलों की पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को प्रेरित करने के लिए सराहना की।

गांधी ने हाल ही में कहा था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और वंचित लोगों के लिए ‘न्याय’ सुनिश्चित करना अब उनके जीवन का उद्देश्य है।

उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के लिये कांग्रेस के प्रचार अभियान में पांच न्याय – युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय – की वकालत की है।

राजीव और सोनिया गांधी के घर 19 जून 1970 को जन्मे राहुल अपनी बहन प्रियंका गांधी से बड़े हैं। उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्ष नयी दिल्ली में बिताए। राष्ट्रीय राजधानी के सेंट कोलंबस स्कूल में शुरुआती पढ़ाई की और फिर वह देहरादून में प्रतिष्ठित दून स्कूल चले गए।

यह वह दौर था जब उनके पिता राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा और राहुल की दादी एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के प्रधानमंत्री बने।

लगातार सुरक्षा खतरों के कारण राहुल और उनकी बहन प्रियंका की आगे की पढ़ाई घर पर ही हुई।

अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लेने के एक साल बाद, वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। अपने पिता की हत्या और उसके बाद उपजी सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर राहुल गांधी फ्लोरिडा के रोलिंस कॉलेज में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने 1994 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

इसके बाद, 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (ट्रिनिटी कॉलेज) से ‘डेवलपमेंट स्टडीज’ में उन्होंने एम.फिल की पढ़ाई पूरी की।

स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, राहुल ने लंदन में एक प्रबंधन परामर्श कंपनी, मॉनिटर ग्रुप में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की। बाद में वह भारत लौट आये और अंततः राजनीति में आए।

गांधी एक प्रमाणित स्कूबा गोताखोर हैं और अपनी फिटनेस के लिए जाने जाते हैं। उनके पास जापानी मार्शल आर्ट ऐकिडो में ब्लैक बेल्ट भी है।