कैग का सरकारी कर रियायतों को ‘‘अनुमानित नुकसान’’ मानना ​​लोकतंत्र को कमजोर करता है: सुब्बाराव

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नयी दिल्ली,  भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित कर रियायतों को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) के ‘‘अनुमानित नुकसान’’ बताने से लोकतंत्र मजबूत नहीं बल्कि कमजोर होगा।

केंद्रीय वित्त सचिव सहित विभिन्न पदों पर रह चुके सुब्बाराव ने अपनी नई पुस्तक ‘जस्ट ए मर्सिनरी?: नोट्स फ्रॉम माई लाइफ एंड करियर’ में 2जी स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण संबंधी निर्णय लेने में अपनी भागीदारी के बारे में भी लिखा है। यह एक ऐसा मुद्दा था जिसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन -2 (संप्रग) सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपों में उलझा दिया था।

उन्होंने पूछा, ‘‘यदि एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार दूरसंचार पहुंच को बढ़ाने के व्यापक सार्वजनिक हित के लिए राजस्व का त्याग करने का निर्णय लेती है, तो क्या कैग को सरकार के निर्णय के स्थान पर अपना निर्णय रखने तथा इसे ‘‘अनुमानित नुकसान’’ कहने का अधिकार है?’’

सुब्बाराव 2जी घोटाला मामले और संप्रग-2 अवधि के दौरान सरकार को हुए संभावित नुकसान की भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की जांच से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ यदि कैग को इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जाती है, तो फिर उन्हें बजट में प्रत्येक कर रियायत को ‘‘अनुमानित नुकसान’’ के रूप में तार्किक रूप से प्रश्न करने से कौन रोक सकता है? निश्चित रूप से, इससे हमारा लोकतंत्र मजबूत नहीं होगा, बल्कि कमजोर होगा।’’

सुब्बाराव ने इस बात पर जोर दिया कि स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण का विशेष ऑडिट करने का कैग का विशेषाधिकार निर्विवाद है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, सरकार को होने वाले ‘‘अनुमानित नुकसान’’ के प्रश्न पर विचार करने का कैग का निर्णय तथा उस नुकसान का परिमाण निर्धारित करने में की गई धारणाएं कई आधारों पर संदिग्ध हैं।’’

सुब्बाराव ने तर्क दिया कि ऐसा अध्ययन करना संभव है जो वास्तव में सरकार को ‘‘अनुमानित लाभ’’ दिखाएगा…सरकार को होने वाला समग्र लाभ, राजस्व की हानि से कहीं अधिक है। इसके लिए ऐसी धारणाएं बनाना आवश्यक है जो कैग पद्धति में निहित धारणाओं से कम मजबूत नहीं होंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘अनुमानित नुकसान के अनुमान से अधिक महत्वपूर्ण, जो कि संदिग्ध था, यह है कि कैग को सरकार के बाजार मूल्य से कम पर स्पेक्ट्रम बेचने के निर्णय के अधिकार पर प्रश्न उठाने का अधिकार है।’’

वर्ष 2007 में तत्कालीन संप्रग गठबंधन सरकार में सहयोगी पार्टी द्रमुक के नेताा ए राजा के कार्यकाल में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने यह निर्धारित किया था कि इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए देश के 23 दूरसंचार सर्किल में से प्रत्येक में अधिक 2जी संचालकों को लाइसेंस देने की आवश्यकता है।