कोलकाता, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने मंगलवार को कहा कि अतीत में केवल ओलंपिक और एशियाई खेलों में भाग लेने पर ध्यान केंद्रित करने की देश की गलत प्राथमिकता के कारण शायद मौका गंवाया गया और विश्व स्तर पर टीम लगभग निचले स्तर पर है।
भारत की फीफा रैंकिंग में इस समय गिरावट आ रही है जिसका कारण एशियाई कप में उसका एक भी मैच नहीं जीतना और उसके बाद 2026 फीफा विश्व कप क्वालीफायर में निचली रैंकिंग वाले अफगानिस्तान से 1-2 से हार है।
भारत के पूर्व गोलकीपर चौबे ने 1974 एशियाई युवा चैंपियनशिप में भारत की जीत के 50 साल के जश्न के मौके पर कहा, ‘‘1947 से 1960 तक भारत ने नियमित रूप से चार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और एशिया की दिग्गज टीम थे। तो भारत कहां पीछे रह गया? 1990 के दशक की शुरुआत में भी, जब मैं खेला करता था तब मुझे याद है कि भारत की रैंकिंग 90 से नीचे थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारत विश्व कप (1950) में खेलता तो उन्हें शीर्ष रैंकिंग वाले देशों का सामना करना पड़ता और वे पिछड़ते नहीं।’’
विश्व कप 1950 में जगह बनाने के बावजूद भारत इसमें क्यों नहीं खेला यह एक विवादास्पद विषय रहा है लेकिन चौबे ने कहा कि उस समय भारत की प्राथमिकता दिल्ली में होने वाले एशियाई खेल (1951) थे जहां उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता चला कि हम इसलिए नहीं खेले क्योंकि भारत 1951 में दिल्ली में एशियाई खेलों की मेजबानी कर रहा था। वे जहाज से तीन महीने की यात्रा नहीं करना चाहते थे और विश्व कप को महत्व नहीं दिया।’’
चौबे ने कहा, ‘‘हम शायद 1950-74 तक केवल एशियाई खेलों और ओलंपिक पर ध्यान केंद्रित करने के कारण चूक गए होंगे।’’
उन्होंने दावा किया कि उन दिनों विश्व कप लोकप्रिय नहीं था और 1986 में डिएगो माराडोना को देखने के बाद ही भारत में फुटबॉल की इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता की लोकप्रियता बढ़ी।
चौबे ने कहा, ‘‘अगर मैं गलत नहीं हूं तो 1986 में टेलीविजन पर माराडोना को देखने के बाद ही विश्व कप लोकप्रिय हुआ। तब तक 1970 के दशक का सुनहरा दौर खत्म हो चुका था और हम मौके से चूक गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह 400 मीटर की दौड़ में पहला लैप चूकने जैसा है। हम शायद तेजी से दौड़ रहे हैं लेकिन 400 मीटर की दौड़ में बाकी लोग एक लैप (100 मीटर) आगे हैं।’’
एआईएफएफ प्रमुख ने स्वीकार किया कि भारत को अन्य देशों से आगे निकलने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।
चौबे ने कहा, ‘‘इसलिए हमें इसकी भरपाई के लिए अतिरिक्त प्रयास करना होगा। कोई जादुई फॉर्मूला नहीं है। यह एक बड़ा देश है और इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है।’’
उन्होंने कहा कि जागरूकता और नई तकनीक को अपनाकर उम्र में हेराफेरी को रोकना महत्वपूर्ण है।
चौबे ने कहा, ‘‘सबसे पहले अधिक उम्र की समस्या से निपटना होगा। हमें उम्र में हेराफेरी को रोकना होगा, यह विज्ञान के माध्यम से या जागरूकता बढ़ाकर हो सकता है। हमें दूसरों को शिक्षित करना होगा। एक टीडब्ल्यू3 मेडिकल परीक्षण भी है जिसे अनिवार्य बनाया जा सकता है।’’