लंदन, कुछ प्रवासियों को रवांडा निर्वासित करने के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के प्रयासों को अंतत: सोमवार देर रात संसद की मंजूरी मिल गई। इससे कुछ घंटे पहले ही सुनक ने विश्वास जताया था कि जुलाई में रवांडा के प्रवासियों को ले जाने वाली निर्वासन उड़ान शुरू होंगी।
सुनक ने मंगलवार को अपनी सरकार के उक्त विवादास्पद ‘रवांडा सुरक्षा विधेयक’ को संसद की मंजूरी मिलने का स्वागत किया और संकल्प जताया कि अवैध प्रवासियों को उड़ानों से अफ्रीकी देश निर्वासित करने के रास्ते में कोई अड़चन नहीं आएगी।
उन्होंने विधेयक को ऐतिहासिक करार दिया और इसे वैश्विक पलायन को संभालने में बुनियादी बदलाव लाने वाला बताया।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘इस ऐतिहासिक विधेयक का पारित होना न केवल एक कदम आगे बढ़ाना है बल्कि विस्थापन पर वैश्विक समीकरण में मूलभूत बदलाव करने वाला है।’’
संसद में इस विधेयक को लेकर करीब दो महीने से गतिरोध बना हुआ था। लेकिन सोमवार आधी रात के बाद अंतत: गतिरोध समाप्त हुआ और ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ की सर्वोच्चता को स्वीकार किया और अपने प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेकर विधेयक के कानून बनने का रास्ता साफ कर दिया।
इससे पहले सुनक ने सोमवार सुबह एक विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ को छोटी नौकाओं में प्रवासियों के इंग्लिश चैनल पार करने की व्यवस्था को समाप्त करने के संबंध में उनके प्रमुख प्रस्तावों में आड़े आना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि जब तक इस विधेयक को स्वीकृति नहीं मिल जाती, तब तक संसद सत्र जारी रहेगा।
विधेयक पर गतिरोध से उस योजना के कार्यान्वयन में नई बाधा पैदा हो गई थी जिसे कई अदालती फैसलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण लगातार अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। इन लोगों का कहना है कि यह कानून अवैध और अमानवीय है। प्रवासियों के पक्षधरों ने इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखने का संकल्प जताया है।
सुनक ने लंदन में सोमवार सुबह संवाददाताओं से कहा था, ‘‘हमारे विरोधियों ने लगभग दो साल से उड़ानों को अवरुद्ध करने और नौकाओं के प्रवेश के लिए हर तरीके का इस्तेमाल किया है। लेकिन अब बहुत हुआ।’’
सरकार उन कुछ लोगों को रवांडा निर्वासित करने की योजना बना रही है जो अवैध रूप से ब्रिटेन में प्रवेश करते हैं ताकि उन प्रवासियों को रोका जा सके जो नावों में यात्रा कर इस उम्मीद में अपनी जान जोखिम में डालते हैं कि ब्रिटेन पहुंचने के बाद वे शरण का दावा कर पाएंगे।
क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर टिम बेल ने कहा कि विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बावजूद अदालतों में चुनौतियों से निर्वासन उड़ानों में देरी हो सकती है।
सुनक ने निर्वासन उड़ानों के लिए अपने राजनीतिक भविष्य को दांव पर लगा दिया है और इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले मतदाताओं को अपने संदेश में ‘नावों को रोकने’ के संकल्प को प्रमुखता से रखा है।
जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार इस साल के अंत में होने वाले आम चुनाव से पहले सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी विपक्षी लेबर पार्टी से बहुत पीछे है।