पेरिस ओलंपिक की 100 दिनों की उलटी गिनती शुरू, खेलों की विरासत बनाये रखने पर जोर

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पेरिस, पेरिस ओलंपिक के शुरू होने में 100 दिन बचे हैं और इसके आयोजक इन खेलों के जरिये ऐसी विरासत तैयार करना चाहते हैं जिससे ओलंपिक के लिए बनायी गयी सुविधाओं का इस्तेमाल लंबे समय तक स्थानीय बच्चे और युवा कर सकें।

पेरिस के बाहरी इलाके में किशोर और युवा लड़कियों को ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के खत्म होने का इंतजार है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस स्विमिंग क्लब में 10 वर्षीय लायला केबी प्रशिक्षण लेती है, उसे एक ओलंपिक पूल विरासत में मिलेगा। खेलों के बाद ओलंपिक में इस्तेमाल होने वाले तरणताल को ट्रकों की मदद से पेरिस के पड़ोसी शहर सेवरान में ले जाया जायेगा। इससे केबी और उसके साथ तैराकी करने वाले अन्य बच्चों और युवाओं को ओलंपिक आकार का एक नया तरणताल मिलेगा। 

केबी की मां नोरा खुशी से कहती हैं, ‘‘ यह शानदार होगा। मुझे उम्मीद है कि इससे हमारी खुशहाली बढ़ेगी।।’’

फ्रांस की राजधानी में एक सदी से अधिक समय के बाद हो रहे ओलंपिक खेलों का मूल्यांकन केवल इसके व्यापक होने के आधार पर नहीं किया जाएगा। एक और पैमाना पेरिस के आसपास के शहरों पर इसका सकारात्मक प्रभाव होगा। इस ओलंपिक के मेजबान के मुताबिक ये खेल सामाजिक रूप से सकारात्मक होने के साथ ही कम प्रदूषणकारी और कम बर्बादी वाले होंगे।

फ्रांस के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक ‘सेनी-सेंट डेनिस’ क्षेत्र को इस ओलंपिक से काफी उम्मीदें हैं। प्रवासियों से भरे इस क्षेत्र के लोगों को नस्लीय भेदभाव और अन्य तरह की रुकावटों का सामना करना पड़ता है।

इसी क्षेत्र में ओलंपिक गांव का निर्माण हुआ है जिसमें 10,500 से ज्यादा ओलंपिक और 4,400 से ज्यादा पैरालंपिक खिलाड़ी रहेंगे। यह स्थान ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा के साथ रग्बी और समापन समारोह की मेजबानी करेगा।

आयोजन समिति की विरासत निदेशक मैरी बार्साक ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम वास्तव में उस तरह की सुविधाओं का निर्माण नहीं करना चाहते थे जिनकी भविष्य में जरूरत नहीं होगी।’’

सेवरान के मेयर स्टीफन ब्लैंचेट ने कहा, ‘‘इन ओलंपिक खेलों की महत्वाकांक्षा यह है कि इससे लंबे समय तक सभी को फायदा हो सके।’’

एक आकलन के मुताबिक पेरिस खेलों का खर्च पिछले तीन ओलंपिक मेजबानों ( 2021-तोक्यो, 2016- रियो और 2012- लंदन) से कम होगा। इसके साथ ही आयोजक लगभग आधी रकम को प्रायोजकों, टिकट और गैर-सार्वजनिक वित्तपोषण से हासिल कर लेंगे जिससे देश के करदाताओं पर कम बोझ पड़ेगा।