सूर्य ग्रहण के दौरान नासा के ‘साउंडिंग रॉकेट’ मिशन की अगुवाई भारतीय मूल के आरोह बड़जात्या ने की

मुंबई,  पिछले दिनों पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ‘साउंडिंग रॉकेट’ प्रक्षेपित करने वाले नासा के मिशन का नेतृत्व भारत में जन्मे आरोह बड़जात्या ने किया था, जो भारत के अनेक शहरों में पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका चले गये थे। आरोह के परिवार ने यह जानकारी दी।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने 8 अप्रैल को उत्तरी अमेरिका में दिखाई देने वाले सूर्य ग्रहण के दौरान तीन ‘साउंडिंग रॉकेट’ छोड़े थे ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि जब पृथ्वी के एक हिस्से पर सूरज की रोशनी क्षण भर के लिए कम हो जाती है तो उसका ऊपरी वायुमंडल कैसे प्रभावित होता है।

नासा ने एक बयान में कहा, ‘‘मिशन की अगुवाई फ्लोरिडा में एंब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में आभियांत्रिकी भौतिकी के प्रोफेसर आरोह बड़जात्या ने की जहां वह अंतरिक्ष और वायुमंडलीय उपकरण प्रयोगशाला के निदेशक हैं।’’

आरोह ने प्रक्षेपण के बाद ‘लिंक्डइन’ पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘‘सहयोगी संस्थानों में मेरे सभी साथी अनुसंधानकर्ताओं और एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी के बेहद सक्षम और प्रतिभाशाली छात्रों के साथ-साथ, सबसे महत्वपूर्ण रूप से, नासा वॉलॉप्स साउंडिंग रॉकेट प्रोग्राम ऑफिस और नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में छह महीने में छह जटिल रॉकेट मिशन को पूरा करने में मदद करने वाले सभी लोगों के प्रति मेरा अत्यंत आभार।’’

केमिकल इंजीनियर अशोक कुमार बड़जात्या और गृहिणी राजेश्वरी के पुत्र आरोह ने स्कूल की पढ़ाई मुंबई के निकट पातालगंगा, हैदराबाद, जयपुर, पिलानी, सोलापुर से की और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री सोलापुर स्थित वालचंद प्रौद्योगिकी संस्थान से प्राप्त की।

आरोह की बहन अपूर्वा बड़जात्या ने बताया कि वह 2001 में अमेरिका चले गए थे और उन्होंने वहां उटाह स्टेट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।