नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को टिप्पणी की कि अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का अनुरोध करने वाली याचिका ‘‘प्रचार’’ के लिए दायर की गई थी और याचिकाकर्ता ‘‘भारी जुर्माना’’ लगाए जाने का हकदार है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक संदीप कुमार द्वारा दायर याचिका को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अदालत के पास भेजते हुए यह टिप्पणी की, जहां पहले इसी तरह की याचिकाओं पर सुनवाई की गई थी।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा, ‘‘यह सिर्फ प्रचार के लिए है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इसी तरह के मामलों को सूचीबद्ध कर चुके हैं और उनका निपटारा कर चुके हैं, इसलिए इस याचिका को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।’’
न्यायमूर्ति प्रसाद ने याचिका को दूसरी पीठ में भेजने के बाद कहा, ‘‘मैं भारी जुर्माना लगा देता।’’
कुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने के बाद, नेता संविधान के तहत मुख्यमंत्री के कार्यों को करने में ‘‘अक्षम’’ महसूस कर रहे हैं।’’
याचिका में कहा गया है कि ‘आप’ नेता की ‘‘अनुपलब्धता’’ संवैधानिक तंत्र को जटिल बनाती है और वह संविधान के आदेश के अनुसार जेल से मुख्यमंत्री के रूप में कभी भी कार्य नहीं कर सकते।
इस मामले को अब 10 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और वह 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में हैं। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।
इससे पहले उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने का अनुरोध करने वाली दो जनहित याचिकाएं खारिज कर दी थीं।