कानून-व्यवस्था पूरे बंगाल में खराब नहीं है, लेकिन गुंडों का काफी इलाकों पर नियंत्रण है: राज्यपाल बोस
Focus News 7 April 2024कोलकाता, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने कहा कि कानून-व्यवस्था पूरे राज्य में खराब नहीं है और राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा के लिए वर्तमान तृणमूल कांग्रेस सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि इसका कारण ‘‘अतीत की विरासत’’ हो सकता है।
बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहा है।
बोस ने यहां राजभवन में ‘पीटीआई-भाषा’ से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि उनकी और बनर्जी की धारणाएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन वे एक ‘‘उचित शिष्टाचार’’ बनाए रखते हैं।
उन्होंने पश्चिम बंगाल में अपने मौजूदा कार्यकाल को ‘‘उनके लिए तथ्यान्वेषण और डेटा-एकत्रित करने का समय’’ बताया।
बोस ने कहा कि कानून-व्यवस्था पूरे राज्य में खराब नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि गुंडों का काफी इलाकों पर नियंत्रण है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने संदेशखालि में देखा कि महिलाएं सम्मान के साथ शांति चाहती थीं, लेकिन उनका सम्मान खंडित हो गया था। यह चिंताजनक स्थिति थी, जो पश्चिम बंगाल के परिदृश्य को खराब कर रही है। यह (स्थिति) कुछ क्षेत्रों तक सीमित है लेकिन इनकी संख्या बढ़ रही है। यह समस्या है। इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि कानून-व्यवस्था पूरे पश्चिम बंगाल में ध्वस्त हो गई है, लेकिन ऐसे काफी क्षेत्र हैं, जहां गुंडों का नियंत्रण है।’’
बहरहाल, राज्यपाल ने राज्य के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा के लिए वर्तमान तृणमूल कांग्रेस सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहराया और कहा कि यह ‘‘अतीत की विरासत’’ थी।
उन्होंने 19वीं सदी में इंग्लैंड के संसदीय क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘चुनाव के लिए कृत्रिम रूप से ‘रॉटन बरो’ बनाया गया था। अब, मुझे लगता है कि यहां भी ऐसा ही हो रहा है। कुछ स्थानों पर गुंडा राज है।’’
सुधार अधिनियम 1832 से पहले 19वीं सदी के ब्रिटेन में ऐसे संसदीय क्षेत्र के लिए ‘रॉटन’ या ‘पॉकेट बरो’ का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें बहुत कम संख्या में मतदाता होते थे और इसका संरक्षक इसका उपयोग बिना किसी विरोध के ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में सीट पाने के लिए कर सकता है।
बोस ने कहा, ‘‘और चुनी हुई सरकार ने इसे (संदेशखालि में हुए अत्याचार को) रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। मैं बंगाल के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा के लिए वर्तमान सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं मानता। यह अतीत की विरासत थी, लेकिन सत्ता में मौजूद सरकार का कर्तव्य था कि वह इसे दबाए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा।’’
बनर्जी के साथ उनके समीकरण और मुख्यमंत्री के कार्य करने के तरीके के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर बोस ने कहा कि कई मुद्दों पर उन्होंने ‘‘असहमति के बावजूद सहमत होने का फैसला किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री एक राजनीतिक व्यक्ति होता है, राज्यपाल ऐसा नहीं होता। स्वाभाविक रूप से, उनकी धारणाएं मुझसे अलग होंगी। ऐसे कई मौके आए जब हमारी सोच एक-दूसरे से अलग रही, लेकिन हमने असहमति के बावजूद सहमत होने का फैसला किया। हम हमेशा उपयुक्त शिष्टाचार बनाए रखने की कोशिश करते हैं।’’
उन्होंने एक नेता के रूप में तृणमूल प्रमुख को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कहा, ‘‘…मैं ममता बनर्जी पर एक नेता के रूप में टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं कोई नेता नहीं हूं और मैं इसमें बिल्कुल भी दखल नहीं देना चाहता हूं।’’
पूर्व नौकरशाह ने राज्य में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति के लिए आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में अधिकारी प्रशासन के प्रति ‘‘पक्षपातपूर्ण’’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसके लिए काफी हद तक यहां के आईएएस अधिकारियों के रवैये को उत्तरदायी कहूंगा। नौकरशाहों से निष्पक्ष एवं तटस्थ बने रहने की उम्मीद की जाती है। उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होना चाहिए।’’
बोस ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, यहां आईएएस अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग पक्षपाती है और वे अपना कर्तव्य नहीं निभाते। लोगों का उन पर से विश्वास उठ गया है और इसका असर जमीनी स्तर पर भी दिख रहा है।’’
राजभवन में ‘शांति कक्ष’ खोलकर राज्य की कानून-व्यवस्था के विषय में हस्तक्षेप करने की कोशिश करने के तृणमूल के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर बोस ने कहा, ‘‘राज्यपाल के रूप में मुझे हस्तक्षेप करना पड़ा, क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। संविधान कहता है कि राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख है।’’
केंद्र द्वारा पश्चिम बंगाल को बकाया राशि का भुगतान नहीं किए जाने के आरोपों पर बोस ने कहा कि यह ‘‘राजनीतिक नहीं, पेशेवर मामला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि बकाया राशि को रोका जा रहा है तो वह इसे प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।’’
बोस ने कहा, ‘‘मैंने आईएएस के तौर पर सेवाएं देते हुए राज्य सरकारों को पैसा पहुंचाने के मामले में केंद्र के साथ काम किया है। केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि कई राज्यों की ओर से भी कुछ खामियां हो सकती हैं। इन्हें चर्चा के जरिये हल करना होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह (बकाया जारी न करना) एक पेशेवर मामला है, राजनीतिक नहीं। यदि किसी राशि को रोका जा रहा है तो केंद्र से उसे प्राप्त करने में मैं भी राज्य की मदद कर सकता हूं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव के दौरान हिंसा के डर की वजह से उन्होंने मतदान के दिन बाहर सड़कों पर मौजूद रहने का फैसला किया, बोस ने कहा, ‘‘इतिहास खुद को दोहराता है। मैंने पिछले चुनावों में और उससे पहले भी देखा कि बंगाल के कई हिस्सों में कभी-कभी हिंसा हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।… राज्यपाल के रूप में, मेरी भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि कानून अपना काम करे। वहां मेरी उपस्थिति लोगों के लिए एक संकेत है कि मैं आपके साथ हूं।’’