कांग्रेस का घोषणापत्र ‘झूठ का पुलिंदा’, मतदाताओं में भ्रम पैदा करने के लिए इसे तैयार किया गया: भाजपा

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नयी दिल्ली,  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए कांग्रेस के घोषणापत्र को ‘झूठ का पुलिंदा’ करार दिया और आरोप लगाया कि देश में दशकों तक शासन करने वाली इस पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा करने के लिए कांग्रेस इस तरह का चुनावी घोषणापत्र लेकर आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस का घोषणापत्र झूठ का पुलिंदा है। इसे मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा करने के लिए तैयार किया गया है।’’

त्रिवेदी ने कहा कि दशकों तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस आज ‘न्याय’ की बात कर रही है लेकिन उसकी सरकारों ने सत्ता में रहते हुए न्याय नहीं किया।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र का नाम रखा है ‘न्याय पत्र’। मतलब इन्होंने मान लिया है कि 55 साल इन्होंने अन्याय किया है। कोई नई नवेली पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) जैसी होती और वह कहती तो समझा जा सकता था।’’

उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने भारत की युवा शक्ति, उसकी आर्थिक, औद्योगिक एवं सैन्य क्षमता के साथ ही सुरक्षा के साथ न्याय नहीं किया, वह देश के साथ न्याय का वादा कर रही है।

त्रिवेदी ने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए अपने पहले के घोषणापत्रों में किए गए अपने किसी भी वादे को पूरा नहीं किया।’’

भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस के घोषणापत्र में इस्तेमाल की गई कुछ तस्वीरों को विदेश की बताया और इसे लेकर भी विपक्षी पार्टी पर निशाना साधा।

इससे पहले, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को अपना घोषणापत्र जारी किया जिसमें उसने जाति जनगणना कराने, आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 50 प्रतिशत से अधिक करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने और नई शिक्षा नीति में संशोधन करने समेत कई वादे किए हैं।

पार्टी ने अपने घोषणा पत्र को ‘न्याय पत्र’ नाम दिया है। यह पांच ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ पर आधारित है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इस घोषणापत्र में भविष्य के शानदार भारत की तस्वीर नजर आती है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह चुनाव, संविधान और लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास करने वालों और इन्हें बचाने की कोशिश करने वालों के बीच होने जा रहा है।