लोक सेवकों के चुनाव लड़ने के लिए ‘कूलिंग-आफ’ अवधि संबंधी याचिका पर सुनवायी से इनकार

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नयी दिल्ली,  उच्चतम न्यायालय ने लोक सेवकों को सेवानिवृत्ति या इस्तीफे के तुरंत बाद चुनाव लड़ने से रोकने के लिए एक निश्चित समयसीमा तक की बंदिश (कूलिंग ऑफ अवधि) निर्धारित करने को लेकर निर्वाचन आयोग की 2012 की सिफारिशें लागू करने संबंधी एक याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता एवं पूर्व सांसद जी. वी. हर्ष कुमार को उचित प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

याचिका में निर्वाचन आयोग की 2012 की सिफारिशों और लोक सेवा सुधार समिति की जुलाई 2004 की रिपोर्ट लागू करने का केंद्र और आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, ताकि सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति या सेवा से इस्तीफे के तुरंत बाद, ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि तक एक राजनीतिक पार्टी के टिकट पर विधानमंडल, संसद या राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने से रोका जा सके।

इसमें केंद्र से उन नौकरशाहों को एक पेंशन के निर्देश का भी अनुरोध किया गया था, जिन्होंने विधानसभा और संसद सदस्य के रूप में कार्य किया है।

यह याचिका वकील श्रवण कुमार करणम के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर की गई थी। पीठ ने कहा, ”यह रिपोर्ट 2012 की थी, आप (याचिका) वापस लेना चाहते हैं या बहस करना चाहते हैं?’’

वकील ने कहा कि वह याचिका वापस लेना चाहेंगे।

याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता 2004 से 2014 के बीच लोकसभा सदस्य रहे थे। इसमें कहा गया है कि 2012 में निर्वाचन आयोग और ‘सेंटर फॉर सिविल सर्विस रिफॉर्म्स’ से संबंधित समिति ने नौकरशाहों और लोक सेवकों को राजनीति में प्रवेश करने एवं चुनाव लड़ने के लिए एक ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि की सिफारिश की थी।

याचिका के अनुसार, ”लेकिन ये सिफारिशें दो दशक पहले की गई थीं, इसके बावजूद इन्हें लागू नहीं किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई नौकरशाह, न्यायाधीश सार्वजनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेते हैं और बिना किसी ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि के किसी राजनीतिक दल में शामिल होकर तुरंत चुनाव लड़ने का विकल्प चुनते हैं।”

इसमें दावा किया गया था, “जिन अधिकारियों/लोक सेवकों ने गैर-कानूनी तरीकों से मदद की होती है, उन्हें संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा विधानसभा और संसद चुनाव लड़ने के लिए टिकट की पेशकश करके पुरस्कृत किया जाता है।”

याचिका में कहा गया है कि लोक सेवकों/न्यायाधीशों को अक्सर अपने कार्यकाल के दौरान संवेदनशील और गोपनीय जानकारी तक पहुंच होती है और तत्काल राजनीतिक भूमिका निभाने की अनुमति व्यक्तिगत या पार्टी लाभ के लिए खास जानकारी के दुरुपयोग के बारे में चिंता उत्पन्न कर सकती है।

इसमें कहा गया है, “‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि यह सुनिश्चित करती है कि लोक सेवकों को अपनी पिछली भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से खुद को अलग करने के लिए आवश्यक समय मिले।”