नयी दिल्ली, दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड के ठेके देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित धनशोधन मामले में आरोपियों को आरोप पत्र की एक प्रति प्रदान करने का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बृहस्पतिवार को निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान दो आरोपियों… बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश अरोड़ा और ठेकेदार अनिल अग्रवाल को बुधवार को पारित अदालत के आदेशों के अनुसार, जेल अधिकारियों द्वारा अदालत के समक्ष पेश किया गया। वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
बुधवार को आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए अदालत द्वारा जारी किए गए समन के अनुपालन में, एक अन्य आरोपी तेजिंदर सिंह भी अदालत के सामने पेश हुए जबकि चौथे आरोपी एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डी के मित्तल ने आज व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया।
अदालत ने दस्तावेजों की जांच के लिए मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को तय की है।
एजेंसी ने 28 मार्च को अदालत में आठ हजार पन्नों की अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) दायर की थी।
ईडी ने आरोप लगाया है कि बोर्ड की ओर से दिए गए ठेके के बदले रिश्वत ली गई और यह पैसा दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनावी कोष के रूप में दिया गया था।
एजेंसी ने मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी बुलाया था, लेकिन वह उसके सामने पेश नहीं हुए।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी को बोर्ड का 38 करोड़ रुपये का ठेका दिया था। यह ठेका इस तथ्य के बावजूद दिया गया था कि कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को “पूरा नहीं करती” है। ईडी के मामले का यही आधार है।
ईडी ने कहा कि ठेके का मूल्य 38 करोड़ रुपये था और इस पर सिर्फ 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए और शेष राशि का विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में गबन कर लिया गया।
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने एक प्रेस वार्ता में आरोपों से इनकार किया था और दावा किया था कि यह मामला आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं की छवि खराब करने का एक और प्रयास है।