कोलकाता,पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ही कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के चयन में अनुभवी नेताओं के बजाय दलबदलुओं पर भरोसा जताने की रणनीति अपना रही हैं जिससे उनके वफादार समर्थकों में असंतोष पैदा हो रहा है।
तृणमूल कांग्रेस ने अपने 42 उम्मीदवारों की सूची में चार दलबदलुओं को शामिल किया है जो या तो अन्य पार्टियों से निर्वाचित प्रतिनिधि हैं या हाल के वर्षों में पार्टी में शामिल हुए हैं।
पार्टी की उम्मीदवार सूची में तीन अन्य नाम ऐसे हैं जो वर्तमान में टीएमसी के सांसद या विधायक हैं लेकिन उनका भी विभिन्न दलों से जुड़े रहने का इतिहास रहा है।
भाजपा ने इसके विपरीत अब तक घोषित 40 प्रत्याशियों में पांच दलबदलुओं को जगह दी है।
दोनों दलों ने अपने फैसलों को सही ठहराते हुए ‘जीतने की क्षमता और राजनीतिक रणनीति’ को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
हालांकि, दूसरे दलों से आए लोगों को खड़ा करने के कारण तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों के खिलाफ कुछ क्षेत्रों में विरोध और असंतोष शुरू हो गया है।
दलबदलुओं को उम्मीदवार बनाने से जुड़े जोखिमों को स्वीकार करते हुए दोनों पार्टियों के नेता कहते हैं कि ‘उनकी निष्ठा की कोई गारंटी नहीं है’।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हमारे पास उम्मीदवार के रूप में सक्षम नेताओं की कमी है। हालांकि, राजनीति में अनेक पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। जीतने की क्षमता और पार्टी की रणनीति सर्वोपरि है।’’
पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 22 और भाजपा ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं कांग्रेस को दो सीटों से संतोष करना पड़ा था।
तृणमूल कांग्रेस ने निवर्तमान सांसदों में से 16 को दोबारा उम्मीदवार बनाया है, लेकिन सात को फिर से मैदान में नहीं उतारा। इस बार उम्मीदवार सूची में 26 नए चेहरे हैं जिनमें 11 राजनीति में नए हैं। पिछली बार चुनाव हार गए किसी भी नेता को इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया गया है।
टीएमसी द्वारा मैदान में उतारे गए दलबदलुओं में बिस्वजीत दास, मुकुटमणि अधिकारी और कृष्णा कल्याणी प्रमुख हैं, जो क्रमशः बोंगांव, राणाघाट और रायगंज लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं।
तीनों इस समय भाजपा विधायक हैं और हाल में टीएमसी में शामिल हो गए लेकिन उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है।
बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह दो साल पहले टीएमसी में शामिल होने के बाद पिछले महीने भगवा खेमे में लौट आए थे। उनको फिर से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है।
तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज विधायक तापस राय उम्मीदवार चयन को लेकर असहमति के कारण भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें कोलकाता उत्तर से मैदान में उतारा है।
साल 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए टीएमसी विधायक शीलभद्र दत्ता को पार्टी ने दमदम लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार चुना है।
शुभेंदु अधिकारी के छोटे भाई सौमेंदु अधिकारी भी तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए और पार्टी के उम्मीदवार हैं।