नयी दिल्ली, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कुछ अन्य वकीलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने के प्रयास के आरोप लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर निशाना साधा और दावा किया कि ‘दूसरों’ को धमकाना और धौंस दिखाना विपक्षी पार्टी की ‘पुरानी संस्कृति’ है।
प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में आरोप लगाया है कि एक ‘निहित स्वार्थी समूह बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा’ के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है।
इस पत्र की प्रति के साथ ‘एक्स’ पर की गयी एक पोस्ट को टैग करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘‘दूसरों को धमकाना और धौंस दिखाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। पांच दशक पहले ही उसने एक ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था। वे बेशर्मी से अपने स्वार्थी हितों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से दूर रहते हैं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं।’’
आधिकारिक सूत्रों द्वारा साझा किए गए पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
पत्र में कहा गया है कि यह समूह अदालतों के कथित बेहतर अतीत और सुनहरे दौर की झूठी कहानियां बनाता है और इसकी तुलना वर्तमान में होने वाली घटनाओं से करता है। पत्र में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य अदालतों को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें असहज करना है।
‘न्यायपालिका पर खतरा: राजनीतिक और पेशेवर दबाव से न्यायपालिका को बचाना’ शीर्षक वाले पत्र को लिखने वाले करीब 600 अधिवक्ताओं में आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं।
यूं तो वकीलों ने पत्र में किसी विशिष्ट मामले का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के कई बड़े आपराधिक मामलों से निपट रही हैं।
विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस आरोप का खंडन किया है।