राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो दुश्मन की सीमा से परे जाकर हवाई शक्ति दिखाई जा सकती है: वायु सेना प्रमुख

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नयी दिल्ली,  वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने बुधवार को कहा कि ‘बालाकोट जैसे अभियानों’ ने साफ कर दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो दुश्मन की सीमा से परे जाकर हवाई ताकत दिखाई जा सकती है।

‘भविष्य के संघर्षों में हवाई शक्ति’ विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि जैसे-जैसे देश तेजी से अंतरिक्ष-आधारित संसाधनों पर निर्भर हो रहे हैं, अंतरिक्ष का सैन्यीकरण और शस्त्रीकरण अपरिहार्य वास्तविकता बन गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मानव इतिहास में, आकाश को अक्सर आश्चर्य और अन्वेषण का क्षेत्र माना गया है, जहां सपने उड़ान भरते हैं और सीमाएं विशाल नीले विस्तार में विलीन हो जाती हैं।’’

वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘फिर भी, इस शांति के नीचे प्रतिस्पर्धा से भरा एक क्षेत्र है जहां हवाई श्रेष्ठता के लिए प्रतिस्पर्धा ने कई देशों की नियति को आकार दिया है और कई युद्धों के नतीजे तय किए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे हम इन अज्ञात आकाशों में यात्रा कर रहे हैं, वायु शक्ति राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख घटक होने के नाते निस्संदेह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और राष्ट्रीय शक्ति के प्रतीक, शांति और सहयोग के लिए एक उपकरण के रूप में भी काम करेगी।’’

वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम सभी को मानना होगा कि भविष्य की जंग अलग-अलग तरीके से लड़ी जाएंगी।’’

उन्होंने कहा कि भविष्य के संघर्ष गतिज और गैर-गतिशील बलों के एक साथ अनुप्रयोग, उच्च स्तर की युद्ध स्थल पारदर्शिता, बहुआयामी परिचालन, उच्च स्तर की सटीकता, अधिक घातकता आदि के मिले-जुले रूप पर आधारित होंगे और निश्चित रूप से इन सभी पर गहन मीडिया निगरानी रहेगी।

वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘बालाकोट जैसे अभियानों से साफ हो जाता है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो हवाई शक्ति का उपयोग दुश्मन की सीमा से परे, बिना युद्ध और बिना शांति के परिदृश्य में, परमाणु खतरे की स्थिति में, पूरी तरह संघर्ष की स्थिति में बढ़े बिना किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा कि सैन्य अभियानों के लिए अंतरिक्ष एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के तौर पर उभरा है जहां निर्बाध संचार, मार्ग निर्देशन और निगरानी क्षमताएं आधुनिक सैन्य बलों की बने रहने की क्षमता को बढ़ाएंगी।