वाशिंगटन, अमेरिकी और ब्रिटिश प्राधिकारियों ने चीनी सरकार से जुड़े हैकरों पर कई आपराधिक आरोप तथा प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा कि इन हैकरों ने सरकार के समर्थन से अमेरिकी अधिकारियों, पत्रकारों, कंपनियों, लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं और ब्रिटेन की चुनाव निगरानी संस्था को निशाना बनाया है।
अधिकारियों ने कहा कि 2010 में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य चीनी सरकार के आलोचकों को प्रताड़ित करना, अमेरिकी कंपनियों के व्यापार की खुफिया जानकारी चुराना और शीर्ष नेताओं की जासूसी करना है। पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने ‘एपीटी31’ नामक हैकर समूह के अभियान का खुलासा किया है।
अमेरिका के न्याय विभाग ने संभवत: चीन में रह रहे सात हैकरों पर आरोप तय किए हैं। वहीं, ब्रिटिश सरकार ने उसके लाखों मतदाताओं के बारे में चुनाव आयोग के पास उपलब्ध जानकारी तक चीन की पहुंच होने से जुड़े एक उल्लंघन के संबंध में दो लोगों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
अमेरिका के अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने एक बयान में कहा, ‘‘न्याय विभाग जनता की सेवा करने वाले अमेरिकियों को धमकाने, अमेरिकी कानून द्वारा संरक्षण प्राप्त असंतुष्टों को चुप कराने या अमेरिकी कारोबार की जानकारियां चुराने की चीनी सरकार की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेगा।’’
अभियोजकों ने बताया कि साइबर घुसपैठ के अभियान के तहत हैकरों ने दुनियाभर में निशाना बनाए गए लोगों को 10,000 से अधिक ईमेल भेजे, जो कथित तौर पर प्रमुख पत्रकारों द्वारा भेजे प्रतीत हुए लेकिन असल में उनमें हैकिंग कोड थे।
ब्रिटेन ने पिछले साल अगस्त में की गई इस घोषणा के बाद प्रतिबंध लगाए हैं कि ‘‘शत्रु ताकतों’’ ने 2021 से 2022 के बीच उसके सर्वर तक पहुंच हासिल कर ली थी। उस वक्त चुनाव आयोग ने बताया था कि इन आंकड़ों में उसके पंजीकृत मतदाताओं के नाम तथा पते शामिल हैं।
ब्रिटेन के उप प्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन ने कहा कि उनकी सरकार इन कृत्यों के लिए चीन के राजदूत को तलब करेगी।
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस घोषणा से पहले कहा था कि देशों को तथ्यात्मक आधार के बिना, दूसरों को ‘‘बदनाम’’ करने के बजाय सबूतों के आधार पर अपने दावे करने चाहिए।
इस बीच, न्यूजीलैंड के सुरक्षा मंत्री ने मंगलवार को कहा कि चीनी सरकार से संबद्ध हैकरों ने सरकार प्रायोजित अभियान शुरू किया, जिसके तहत 2021 में उनके देश की संसद को निशाना बनाया गया।
न्यूजीलैंड के मंत्री जूडिथ कोलिंस ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा, ‘‘दुनिया में कहीं भी लोकतांत्रिक संस्थाओं व प्रक्रियाओं में साइबर समर्थित जासूसी अभियान का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।’’