श्रीनगर, सेना ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के विरोध के बाद शनिवार को यहां प्रस्तावित संगोष्ठी रद्द कर दी। इस संगोष्ठी का उद्देश्य समान नागरिक संहिता और अन्य विषयों के बारे में जागरूकता पैदा करना था।
सेना ने शुक्रवार देर रात मीडिया घरानों को ‘नेवीगेटिंग लीगल फ्रंटियर्स: अंडरस्टैंडिंग इंडियन पीनल कोड 2023 एंड द क्वेस्ट फॉर यूनीफार्म सिविल कोड’ विषय पर एक संगोष्ठी का निमंत्रण भेजा था। संगोष्ठी 26 मार्च को कश्मीर विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित की जानी थी।
हालांकि, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया जतायी गई। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर जैसे ‘संवेदनशील’ स्थान पर समान नागरिक संहिता जैसे ‘विभाजनकारी’ मुद्दे में सेना के शामिल होने पर सवाल उठाया।
अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पोस्ट किया, ‘‘क्या भारतीय सेना के लिए समान नागरिक संहिता के विभाजनकारी मुद्दे में शामिल होना उचित है और वह भी कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में? एक कारण है कि भारतीय सेना गैर राजनीतिक और गैर धार्मिक रही है। यह गलत सलाह वाला यूसीसी सेमिनार इन दोनों बुनियादी सिद्धांतों के लिए खतरा है।’’
उन्होंने कहा कि संगोष्ठी पर आगे बढ़ने से सेना पर राजनीति के दलदल में शामिल होने के साथ-साथ धार्मिक मामलों में ‘हस्तक्षेप’ के आरोप लगने का खतरा है।
नेशनल कान्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से मांग की कि वह सेना द्वारा ऐसे मुद्दे पर चर्चा के ‘औचित्य का आकलन’ करे, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल है, जबकि आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी संगोष्ठी आयोजित करने के लिए सेना की आलोचना की। पीडीपी प्रवक्ता नजमुस साकिब ने कहा, ‘‘हम जो देख रहे हैं वह ‘नया कश्मीर’ और आखिर कब तक अभियानों की प्रवृत्ति की निरंतरता है जिसमें सेना को एक संस्था के रूप में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाते हुए और सीधे जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए देखा गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिक्रिया के बाद, हमने कुछ प्रणालीगत बदलाव देखे थे, लेकिन दुर्भाग्य से एक संस्था के रूप में भारतीय सेना की ओर से संगोष्ठी आयोजित करना, दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर में राजनीति और सुरक्षा तंत्र के बीच की रेखाएं कितनी धुंधली हो गई हैं।’’
साकिब ने कहा कि यह एक ‘‘बहुत खतरनाक प्रवृत्ति’’ है और ‘‘संविधान के बड़े प्रणालीगत क्षरण का प्रकटीकरण’’ है।
प्रतिक्रिया के बाद, सेना ने ‘‘आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण’’ कार्यक्रम रद्द कर दिया।
श्रीनगर में रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनोज साहू ने कहा, ‘‘आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण कश्मीर विश्वविद्यालय में कश्मीर ज्यूरिस्ट द्वारा 26 मार्च को होने वाली कानूनी जागरूकता संगोष्ठी रद्द कर दी गई है।’’