आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता पर भारत के साथ सहयोग बढ़ने की संभावना: राजदूत फथली

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नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) भारत में ईरान के नव नियुक्त राजदूत मोहम्मद फथली ने कहा है कि ईरान आतंकवाद रोधी उपायों और क्षेत्रीय अस्थिरता के मुद्दे पर भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है।

फथली ने दोनों देशों की स्वतंत्र नीतियों और राष्ट्रीय हितों का पूरी तरह से सम्मान करते हुए चरमपंथी हिंसा का सामना करने में अपने अनुभवों को साझा करने पर जोर दिया।

फथली ने मंगलवार को ‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में उभरती प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, शैक्षणिक और वैज्ञानिक सहयोग तथा सांस्कृतिक कूटनीति में भारत के साथ नयी पहलों की प्रबल संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

राजदूत ने मई में आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई और क्षेत्रीय तनाव के बीच ईरान के सामने मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता ऐसे क्षेत्र हैं जहां ईरान और भारत एक-दूसरे की स्वतंत्र नीतियों और राष्ट्रीय हितों का पूर्ण सम्मान करते हुए सहयोग बढ़ा सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ईरान लंबे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है और चरमपंथी हिंसा का मुकाबला करने में उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी है। इस लड़ाई में हमने अपने कई बेहतरीन कमांडर और सैनिकों को खोया है।’’

फथली ने कहा कि ईरान ने आतंकवाद रोधी क्षेत्र में काफी विशेषज्ञता विकसित कर ली है जिसे पश्चिम एशियाई देश ‘‘मित्र देशों’’ के साथ साझा करना चाहते हैं।

बतौर राजदूत फथली ने डॉ. इराज इलाही की जगह ली है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता डॉ. इलाही की उपलब्धियों को आगे बढ़ाना और उभरती प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक सहयोग तथा सांस्कृतिक कूटनीति में नयी पहल करना होगी।

फथली ने एकतरफा प्रतिबंधों, बैंकिंग प्रतिबंधों, निजी क्षेत्रों में सीमित जागरुकता आदि चुनौतियों को स्वीकार किया।

भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय व्यापार अपने ऐतिहासिक उच्चतम स्तर से काफी नीचे बना हुआ है, जिसका मुख्य कारण ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हैं।

भारत और ईरान के बीच 2024 में कुल व्यापार लगभग 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर था, जिसमें भारत ने ईरान को 1.25 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया और ईरान से 1.06 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात किया।

यह व्यापार 2018 से 2019 के बीच लगभग 17 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर से 87 प्रतिशत कम है, जब आयात में कच्चे तेल का दबदबा था। अमेरिकी छूट की अवधि समाप्त होने के बाद भारत ने मई 2019 में ईरान से कच्चे तेल का आयात रोक दिया था।

राजदूत ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया और इसे क्षेत्रीय संपर्क का एक प्रमुख स्तंभ बताया जो भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे तक पहुंच प्रदान करता है।

राजदूत ने कहा, ‘‘पारगमन समय और लागत को कम करके यह संपर्क ढांचा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत कर सकता है और सभी भागीदार देशों के लिए व्यापार सुगमता बढ़ा सकता है।’’

राजदूत फथली ने 15 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना परिचय पत्र सौंपा था।

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