नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग बिजली कारोबार एक्सचेंजों पर लगने वाले लेनदेन शुल्क को तर्कसंगत बनाने पर विचार कर रहा है। इस पहल का मकसद बिजली की कीमतों को संभावित रूप से कम करना है।
यह सुधार दक्षता बढ़ाने, नकदी की स्थिति को मजबूत करने और विभिन्न एक्सचेंजों में कीमतों को तर्कसंगत बनाने में मददगार होगा। इस कदम से समय के साथ बिजली खरीदारों के लिए कुल लागत में कमी आ सकती है।
बाजार समेकन को केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने इस साल जुलाई में दो साल से अधिक समय तक चले विचार-विमर्श के बाद मंजूरी दी थी। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का प्रस्ताव है, जिसकी शुरुआत जनवरी 2026 से की जाएगी।
बाजार समेकन का मतलब बिजली की अलग-अलग एक्सचेंजों में होने वाली खरीद-फरोख्त को एक ही प्रणाली में जोड़ देना है, ताकि एक ही कीमत तय हो।
एक अधिकारी ने बताया कि सीईआरसी ने दिसंबर 2025 में बिजली एक्सचेंजों द्वारा वसूले जाने वाले लेनदेन शुल्क की समीक्षा पर एक विचार-पत्र को अंतिम रूप दिया है।
नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि नियामक यह जांच कर रहा है कि मौजूदा लेनदेन शुल्क ढांचा, जिसकी सीमा प्रति यूनिट दो पैसे है, क्या उस बाजार के लिए सही है, जहां कारोबार की मात्रा तेजी से बढ़ी है और जो एकीकृत मूल्य खोज व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।