वर्ष 2025 : जब ‘जेन जेड’ के प्रदर्शनों के चलते नेपाल की सरकार को सत्ता से हटना पड़ा

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काठमांडू, 27 दिसंबर (भाषा) नेपाल के लिए 2025 बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल वाला साल रहा, जब भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ ‘जेन जेड’ के नेतृत्व में सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गए और इसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की गठबंधन सरकार को अंततः सत्ता से हटना पड़ा।

सितंबर में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते देश की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि उन्होंने एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला। उन्होंने तुरंत घोषणा की कि पांच मार्च 2026 को नये सिरे से चुनाव कराए जाएंगे, जो 2027 के निर्धारित चुनाव से एक साल पहले होंगे।

हिंसक प्रदर्शनों से कुछ सप्ताह पहले, ‘नेपो बेब्स’ या ‘नेपो किड्स’ को निशाना बनाने वाले ऑनलाइन अभियानों से माहौल गर्म हो रहा था। ये अभियान ऐसे राजनीतिक अभिजात वर्ग के बच्चों को सदंर्भित करके चलाया जा रहा था, जो कथित तौर पर अपने माता-पिता द्वारा भ्रष्टाचार के माध्यम से अर्जित पैसे से विलासितापूर्ण जीवन शैली जी रहे थे।

हालांकि, डिजिटल रूप से एक विरोध के तौर पर शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही एक पूर्ण राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया। आठ और नौ सितंबर को ‘जेन जेड’ ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए, जिनमें कम से कम 77 लोग मारे गए।

वर्ष 1997 से 2012 के बीच जन्मे लोगों की पीढ़ी को ‘जेन जेड’ कहा जाता है।

मौतों से आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने पूरे नेपाल में संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय और आवास, उच्चतम न्यायालय, प्रशासनिक कार्यालयों और पुलिस चौकियों सहित प्रमुख सरकारी भवनों में आगजनी की और उनमें तोड़फोड़ की।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष ओली को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 12 सितंबर को कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

सितंबर में हुए प्रदर्शन हिमालयी देश को हिला देने वाले एकमात्र विरोध-प्रदर्शन नहीं थे। इससे पहले, जनता के एक विशेष वर्ग ने राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग की, जबकि नेपाल ने सितंबर 2015 में राजशाही को समाप्त करके एक संविधान अपनाया था।

काठमांडू में 28 मार्च को राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच हुई झड़प में एक फोटो पत्रकार सहित दो नागरिक मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

चीन समर्थक माने जाने वाले ओली ने नौ सितंबर को इस्तीफा दे दिया और इसके साथ ही वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत की यात्रा नहीं करने वाले पहले नेपाली प्रधानमंत्री बन गए, जबकि उनका 16 सितंबर को भारत दौरा निर्धारित था।

ओली ने पदभार संभालने के बाद चीन का दौरा किया था, जो पिछली परंपराओं से एक बड़ा बदलाव था, क्योंकि पहले नेपाल के प्रधानमंत्रियों का पहला विदेश दौरा भारत का होता था।

ओली ने अप्रैल में बैंकॉक में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी।

साल के अंत में, नेपाल ने 100 रुपये का नया नोट जारी करके भारत को नाराज कर दिया। इस नोट पर एक नक्शा छपा था जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा क्षेत्र शामिल थे जबकि ये क्षेत्र भारत के हैं।

अतीत में, भारत ने इन क्षेत्रों को नक्शे में शामिल करने के नेपाल के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि ‘‘क्षेत्रीय दावों का कोई भी एकतरफा कृत्रिम विस्तार अस्वीकार्य है।’’

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