तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े रहस्यमयी, इन्हें समझना मुश्किल: अरविंद सुब्रमण्यन
Focus News 15 March 2024नयी दिल्ली पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को कहा कि भारत के ताजा जीडीपी आंकड़े ‘पूरी तरह रहस्यमयी’ हैं और इन्हें समझ पाना मुश्किल है।
हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी। ये आंकड़े उम्मीद से बेहतर हैं और पिछले डेढ़ साल में सबसे अधिक हैं।
सुब्रमण्यम ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस पर कहा, ‘मैं आपको ईमानदारी से बताना चाहता हूं कि ताजा जीडीपी आंकड़ों को मैं समझ नहीं पा रहा हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि ये बिल्कुल रहस्यमयी हैं। वे मेल नहीं खाते हैं। मुझे नहीं पता कि उनका क्या मतलब है।’
राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के लिए भी जीडीपी अनुमान को संशोधित कर क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत कर दिया है।
सुब्रमण्यन ने कहा कि इन आंकड़ों में ‘निहित मुद्रास्फीति’ एक से 1.5 प्रतिशत है जबकि अर्थव्यवस्था में वास्तविक मुद्रास्फीति तीन से पांच प्रतिशत के बीच है।
उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, भले ही निजी खपत तीन प्रतिशत बढ़ी है।’
सुब्रमण्यन ने कहा कि ताजा आंकड़ों में गलती और चूक की गणना नहीं की गई है जबकि वास्तव में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित 7.6 प्रतिशत वृद्धि में ये लगभग 4.3 प्रतिशत हैं।
पूर्व सीईए ने कहा, ‘तो ऐसे कई आंकड़ें हैं… जिन्हें मैं समझ नहीं पाता। मैं यह नहीं कह रहा कि ये गलत हैं। इसके बारे में फैसला दूसरों को करना है।’
उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि यदि भारत इतना आकर्षक स्थान बन गया है, तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में तेजी से बढ़ोतरी क्यों नहीं हो रही है।
सुब्रमण्यन ने कहा कि निजी निवेश, कॉरपोरेट निवेश वर्ष 2016 के स्तर से काफी नीचे है।
उन्होंने कहा, “इस बात की बहुत चर्चा है कि पिछली कुछ तिमाहियों और पिछले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था निवेश के लिए एक बहुत अच्छी जगह बन गई है जबकि वास्तव में निवेश में तेजी से गिरावट आई है।”
एक सवाल के जवाब में पूर्व सीईए ने कहा कि भारतीयों को इस धारणा से छुटकारा पाने की जरूरत है कि भारत एक बड़ा बाजार है। उन्होंने कहा, ‘हम कोई बहुत बड़ा बाजार नहीं हैं।’
उन्होंने इसे विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत की जीडीपी 3,000 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है जबकि मध्यम वर्ग की बाजार हिस्सेदारी लगभग 750 अरब अमेरिकी डॉलर होगी।
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘आप इसकी तुलना वैश्विक अर्थव्यवस्था से कीजिए, तो यह 20-30 हजार अरब अमेरिकी डॉलर है। अब हम यह सोचकर गलती कर रहे हैं कि हम घरेलू बाजार के आधार पर वृद्धि कर सकते हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ी गलती है।’
उन्होंने कहा कि विश्व युद्ध के बाद किसी भी सफल देश ने विनिर्माण निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि के बिना सात-आठ प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल नहीं की है।
पूर्व सीईए ने कहा कि इस बात की जांच करने की जरूरत है कि क्या सरकार की नीति सभी निवेशकों के लिए समान अवसर पैदा कर रही है या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि ‘हार्डवेयर’ तैयार करने, बैंकिंग प्रणाली को साफ-सुथरा बनाने और चीन के अलावा एक अन्य देश को बढ़ावा देने की वैश्विक नीति (चीन+1) के बाजवूद हमारा निजी निवेश क्यों अटका हुआ है।’
इसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की सदस्य शमिका रवि ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल की विनाशकारी नीतियों के कारण देश में निजी निवेश को जबरदस्त झटका लगा है और इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा है।