नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) पिछले साल ओलंपिक कांस्य झोली में डालने के बाद 2025 भारतीय हॉकी के लिये कुछ खास नहीं रहा हालांकि पुरूष टीम ने लगभग एक दशक बाद एशिया कप जीता लेकिन महिला टीम के प्रदर्शन में निरंतर गिरावट चिंता का सबब बनी हुई है ।
भारतीय हॉकी का यह शताब्दी वर्ष भी है लेकिन आठ बार की ओलंपिक चैम्पियन टीम के लिये वर्ष 2025 में कुछ भी असाधारण नहीं रहा ।
इस वर्ष भारतीय हॉकी की सबसे बड़ी उपलब्धि पुरूष टीम की राजगीर में एशिया कप में जीत रही जहां आठ साल बाद खिताब जीतकर उसने अगले साल 14 से 30 अगस्त तक नीदरलैंड और बेल्जियम में होने वाले एफआईएच विश्व कप का टिकट कटाया ।
भारतीय टीम ने एक बार फिर उपमहाद्वीप में दबदबा बनाया और सबसे अच्छी बात यह रही कि 15 गोल दागे जबकि सिर्फ दो गंवाये । फाइनल में भारत ने गत चैम्पियन दक्षिण कोरिया को 4 . 1 से हराया जिसमे दिलप्रीत सिंह, सुखजीत सिंह और अमित रोहिदास ने गोल किये ।
इससे पहले एफआईएच प्रो लीग में प्रदर्शन निराशाजनक रहा । हरमनप्रीत सिंह की टीम नौ टीमों में आठवें स्थान पर रही और नीचे खिसकने से बाल बाल बची है ।
घरेलू चरण में भुवनेश्वर में पांच मैच जीतने के बाद यूरोपीय चरण में लगातार सात मैच गंवाये ।
अजलन शाह कप में भारत की युवा टीम ने रजत पदक जीता । छह साल बाद टूर्नामेंट खेल रही भारतीय टीम फाइनल में दुनिया की तीसरे नंबर की टीम बेल्जियम से एक गोल से हारी । लेकिन नये कप्तान डिफेंडर संजय के साथ युवा टीम गई थी जिसमे हरमनप्रीत और मनप्रीत जैसे सीनियर नहीं थे ।
पुरूष जूनियर टीम ने इस महीने चेन्नई में जूनियर हॉकी विश्व कप में नौ साल बाद कांस्य पदक जीता । कांस्य के मुकाबले में अर्जेंटीना से दो गोल से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए भारत ने 4 . 2 से जीत दर्ज की ।
भारत की नजरें अब अगले साल विश्व कप के अलावा जापान में एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतकर लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 में सीधे जगह बनाने पर लगी होंगी ।
दूसरी ओर तोक्यो ओलंपिक 2021 में चौथे स्थान पर रहने के बाद महिला टीम का प्रदर्शन लगातार खराब हुआ है और पिछले साल टीम पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी थी ।
इस साल भी कहानी कमोबेश वही रही । प्रो लीग में टीम दो जीत और 11 हार ( लगातार आठ ) के बाद आखिरी स्थान पर रही और दूसरे दर्जे की स्पर्धा एफआईएच नेशंस कप में खिसक गई । अब यह टूर्नामेंट जीतकर ही टीम 2026 . 27 में एफआईएच प्रो लीग में लौट सकेगी ।
वहीं सितंबर में एशिया कप फाइनल में चीन से 1 . 4 से हारकर अगले साल विश्व कप में भी सीधे जगह नहीं बना सकी ।
साल के आखिर में टीम पर विवादों का साया भी पड़ा जब मुख्य कोच हरेंद्र सिंह को ‘तानाशाहीपूर्ण और पुरानी ’ कोचिंग शैली के आरोपों के कारण इस्तीफा देना पड़ा । हॉकी इंडिया ने हालांकि कहा कि खराब नतीजों के कारण यह फैसला लिया गया है ।
जूनियर महिला टीम सैंटियागो में विश्व कप में दसवें स्थान पर रही । जूनियर टीम के एक कोचिंग स्टाफ पर भी यौन कदाचार के आरोप लगे जिसे बाद में हॉकी इंडिया ने आंतरिक जांच के बाद क्लीन चिट दे दी ।
इस पृष्ठभूमि में भारतीय महिला टीम की राह आसान नहीं दिख रही । तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर ले जाने वाले कोच शोर्ड मारिन की वापसी लगभग तय है लेकिन उनके सामने पहली चुनौती मार्च में भारत में होने वाला विश्व कप क्वालीफायर जीतकर खोया आत्मविश्वास लौटाने और ड्रेसिंग रूम का विश्वास जीतने की होगी ।
