नयी दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की उन सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार करने के न्यायालय के पिछले साल 30 अक्टूबर को दिए फैसले को चुनौती दी गई है।
अपने कक्ष में सुधारात्मक याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सिसोदिया की याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई करने की अर्जी भी खारिज कर दी।
पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी भी शामिल हैं।
सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायलय में अंतिम कानूनी उपाय है और आम तौर पर इस पर कक्ष में ही सुनवाई की जाती है जब तक कि फैसले पर पुनर्विचार के लिए प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।
पीठ ने 13 मार्च को दिए अपने फैसले में कहा, ‘‘सुधारात्मक याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की जाती है। हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर सुनवाई की है। हमारी राय में रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा मामले में इस अदालत के फैसले में बताए मानदंडों के भीतर कोई मामला नहीं बनता है।’’
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 13 दिसबंर को सिसोदिया की जमानत याचिकाओं को खारिज करने वाले 30 अक्टूबर 2023 के उसके फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिकाएं खारिज कर दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 30 अक्टूबर को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि जांच एजेंसियों द्वारा दाखिल सबूत 338 करोड़ रुपये के ‘‘अप्रत्याशित लाभ’’ की बात का समर्थन करते प्रतीत होते हैं।
सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी, 2023 को ‘‘घोटाले’’ में उनकी कथित भूमिका के मामले में गिरफ्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धनशोधन के मामले में तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को नौ मार्च, 2023 को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नयी आबकारी नीति लागू की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच इसे सितंबर 2022 के आखिर में रद्द कर दिया था।