वाशिंगटन, अमेरिका में एक आव्रजन शिखर सम्मेलन के दौरान डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों दलों के प्रतिष्ठित सांसदों ने ‘ग्रीन कार्ड’ आवेदनों की बढ़ती संख्या पर तत्काल ध्यान देने का आह्वान किया है, जिससे भारतीय पेशेवरों और एच-1बी वीजा से संबंधित मुद्दे प्रभावित हो रहे हैं।
‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा ’(एफआईआईडीएस) द्वारा सोमवार को वाशिंगटन में आयोजित अपनी तरह के पहले ‘टेक इमिग्रेशन समिट’ में, विशेष श्रेणियों में विदेशी कामगारों को ग्रीन कार्ड या कानूनी स्थायी निवास जारी करने के मामले में प्रति देश सात प्रतिशत की निर्धारित सीमा हटाने पर जोर दिया गया।
इस तरह का प्रावधान न होने से भारतीय अप्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा अवधि 20 वर्ष से अधिक और कई मामलों में 70 वर्ष से अधिक होगी।
ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है। यह अमेरिका में अप्रवासियों को सबूत के तौर पर जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज है, जिसके तहत धारक को स्थायी रूप से रहने का विशेषाधिकार होता है।
सांसद रो खन्ना ने कहा, “हम जानते हैं कि आप्रवासियों ने सिलिकॉन वैली के निर्माण में मदद की है, बहुत सारी कंपनियां शुरू हुई हैं, जिन्होंने बहुत सारी नौकरियां सृजित की हैं, बहुत सारे रोजगार सृजित किए हैं, इनकी स्थापना भारत, चीन, एशिया, मध्य पूर्व, यूरोप से आए आप्रवासियों ने की।”
उन्होंने कहा, “आप निगमों को एच1-बी धारकों को कम वेतन देने की अनुमति देकर अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, और आप एच1-बी धारक परिवारों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसीलिए हमें उन्हें ग्रीन कार्ड और अंततः नागरिकता देने की आवश्यकता है।”
सांसद एरिक स्वालवेल ने कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र कैलिफॉर्निया के 40 प्रतिशत लोग अमेरिका के बाहर पैदा हुए हैं।
उन्होंने कहा, “अगर हम बड़ी चुनौतियों का सामना करना चाहते हैं, तो हमें समाधान की आवश्यकता है। अगर हम अमेरिका में कैंसर का इलाज करना चाहते हैं, तो हमें खस्ताहाल आप्रवासन प्रणाली को ठीक करना होगा। यदि हम बच्चों की देखभाल पर कम भुगतान करना चाहते हैं, तो हमें अपनी आव्रजन प्रणाली को ठीक करने की आवश्यकता है।”
भारतीय-अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने कहा कि अमेरिकी आव्रजन प्रणाली टूट-फूट गई है।
उन्होंने कहा, “हमें कानूनी आप्रवासन को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है; हमारे व्यवसायों को इसकी आवश्यकता है। जब भी मैं कंपनियों के सीईओ से मिलता हूं, वे मुझे बताते हैं कि कुशल कार्यबल ढूंढ पाना कितना महत्वपूर्ण है।”