नयी दिल्ली, पेटीएम पेमेंट्स बैंक धन शोधन रोधक कानून के तहत संदिग्ध लेनदेन का पता लगाने और उसकी सूचना देने के लिए एक आंतरिक व्यवस्था बनाने में विफल रहा।
वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) ने अपने आदेश में यह बात कहने के साथ ही जोड़ा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने अपनी भुगतान सेवा में उचित जांच प्रक्रिया का पालन नही किया। उसने फिनटेक कंपनी पर 5.49 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया।
वित्तीय खुफिया जानकारी जमा करने वाली संघीय एजेंसी ने अपने एक मार्च के आदेश में कहा कि बैंक के खिलाफ ये आरोप चार से अधिक की जांच के बाद पुष्ट किए गए थे। इस संबंध में पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 14 फरवरी, 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
उस समय केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एफआईयू की कार्रवाई पर एक बयान जारी किया था। इसके बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक के प्रवक्ता ने कहा था कि जुर्माना एक कारोबारी खंड से संबंधित है, जिसे दो साल पहले बंद कर दिया गया था।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) को रिजर्व बैंक ने 29 फरवरी से ग्राहकों से नई जमा स्वीकार करना बंद करने का आदेश दिया था। इस समयसीमा को बाद में बढ़ाकर 15 मार्च कर दिया गया।
पीटीआई-भाषा ने एफआईयू का सारांश आदेश देखा है। इसमें कहा गया है कि संकटग्रस्त पेटीएम इकाई के खिलाफ कार्यवाही 2020 में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा यह बात पता लगाने के बाद शुरू हुई थी कि विदेश से जुड़े व्यक्तियों के गठजोड़ के तहत कई व्यवसायों द्वारा व्यापक अवैध गतिविधियां की गईं।
इसके बाद हैदराबाद पुलिस की साइबर अपराध इकाई ने आईपीसी और तेलंगाना राज्य जुआ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया।
एफआईयू ने कहा कि जांच के दौरान उसे ऐसी रिपोर्ट मिलीं, जिनमें कहा गया था कि इन संस्थाओं ने जुआ, डेटिंग और स्ट्रीमिंग सेवाओं के जरिये लाखों भारतीयों को धोखा दिया, जो गैरकानूनी है।