तिरुवनंतपुरम/नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को आरोप लगाया कि केरल में राज्य-संचालित दो तकनीकी विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्तियां राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच एक मौन समझौते की ओर इशारा करती हैं, जिससे उनके कथित मतभेदों पर सवाल खड़े होते हैं।
वेणुगोपाल ने केरल में डॉ. सिजा थॉमस को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जबकि डॉ. साजी गोपीनाथन को केरल डिजिटल विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किए जाने की घोषणा के बीच यह टिप्पणी की।
उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पहले थॉमस को केरल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किए जाने के खिलाफ थे, जो एसएफआई के कथित राज्य प्रायोजित विरोध-प्रदर्शन से स्पष्ट था।
वेणुगोपाल ने कहा कि इसी तरह राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने केरल डिजिटल विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में डॉ. साजी गोपीनाथ की नियुक्ति पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
उन्होंने कहा, “अब अचानक राज्यपाल और मुख्यमंत्री के सारे तर्क और आपत्तियां हवा हो गईं। ऐसा क्यों हुआ? क्या ऊपर से कोई निर्देश आया था? इन सबसे साफ है कि उनके बीच ‘अंतर्धारा’ (मौन सहमति) है। उन्होंने जनता को बेवकूफ बनाने के लिए समझौता कर लिया है। यह बहुत गंभीर है।”
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि दोनों नियुक्तियां उच्चतम न्यायालय में 19 दिसंबर को इस मुद्दे पर सुनवाई होने और दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपति के संबंध में निर्णय लेने के कुछ दिन पहले हुई हैं।
शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते इस बात का संज्ञान लिया था कि कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में गतिरोध दूर करने के प्रयास लगातार विफल रहे हैं। उसने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली समिति को दोनों पदों के लिए एक-एक नाम की सिफारिश करने का निर्देश दिया था।
यह विवाद चयन प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की भूमिका को लेकर असहमति और राज्य सरकार की ओर से सुझाए गए कुछ नामों पर राज्यपाल की ओर से उठाई गई आपत्तियों के कारण उपजा था।
शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर मुख्यमंत्री और राज्यपाल मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने में विफल रहते हैं, तो वह इसमें हस्तक्षेप करेगी।