बीपीओ कर्मचारियों को एआई से बदले जाने का जोखिम सबसे अधिक : नैसकॉम चेयरमैन

मुंबई,  कृत्रिम मेधा (एआई) की वजह से बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) जैसे क्षेत्र के कर्मचारियों के प्रभावित होने का जोखिम सबसे अधिक है। उद्योग निकाय नैसकॉम के चेयरमैन राजेश नांबियार ने यह बात कही है।

नांबियार वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी कॉग्निजेंट की भारतीय इकाई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भी हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग का मुख्य आधार सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग है और वहां कर्मचारियों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने पुणे में आयोजित एक संगोष्ठी में कहा, ‘‘जो लोग प्रक्रिया से संबंधित उद्योग में काम करते हैं, जिन्हें हम परंपरागत रूप से बीपीओ (व्यावसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग) कहते हैं… उनमें से कुछ को बहुत जल्दी एआई इंजन द्वारा बदलने का जोखिम होता है।’’

नांबियार ने इस बात पर जोर दिया कि 48.9 अरब अमेरिकी डॉलर का बीपीएम (व्यावसायिक प्रक्रिया प्रबंधन) उद्योग काफी हद तक सरल व्यावसायिक प्रक्रियाओं के प्रबंधन से विकसित हुआ है।

नौकरियों पर एआई के प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। खासकर 250 अरब डॉलर से अधिक के भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए यह बात कही जा रही है, जो देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

नांबियार ने सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग के मामले में कहा कि जो पेशेवर अपने काम के तहत एआई का उपयोग नहीं करेंगे, उन्हें एआई का उपयोग करने वालों द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने का जोखिम है।

उन्होंने कहा कि जेनरेटिव एआई ऊंचे वेतन की उच्च कौशल वाली (व्हाइट कॉलर) नौकरियों को अधिक प्रभावित करेगा। इसका असर बिजली या एयर कंडीशनर ठीक करने वालों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन शेयर बाजार विश्लेषकों और आंकड़ों की जानकारी रखने वालों की नौकरी पर असर पड़ेगा।

नांबियार ने कहा कि इसका अल्पकालिक प्रभाव भले ही नकारात्मक लगे, लेकिन दीर्घकालिक आधार पर इसका प्रभाव हमारी कल्पना से कहीं अधिक होगा।