हैदराबाद, 16 दिसंबर (भाषा) थोक दवा विनिर्माताओं ने घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा के लिए केंद्र की ओर से प्रस्तावित एमआईपी का समर्थन करते हुए कहा कि इसे एक समयबद्ध एवं सुनियोजित सुधारात्मक उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि संरक्षणवादी कदम के रूप में।
चीन से सस्ते आयात का मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार, न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) लागू करने की प्रक्रिया में है। चीन ने हाल ही में कीमतों में भारी कटौती की है।
बल्क ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (बीडीएमए) के सूत्रों के अनुसार, लगातार अनुचित मूल्य निर्धारण एवं आयात कीमतों में भारी गिरावट घरेलू विनिर्माण की व्यवहार्यता के लिए एक आसन्न खतरे का संकेत देती है।
बीडीएमए सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ इसलिए उद्योग संघ प्रस्तावित एमआईपी ढांचे का पुरजोर समर्थन करता है और देश के लिए समान अवसर एवं दीर्घकालिक ‘एंटीबायोटिक’ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस पर शीघ्र विचार करने का आग्रह करता है।’’
‘एंटीबायोटिक’ एक प्रकार की दवा है जो जीवाणु के कारण होने वाले संक्रमणों का इलाज एवं रोकथाम करती है।
गौरतलब है कि प्रस्तावित एमआईपी से मरीजों के लिए दवाओं की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी क्योंकि ‘एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट’ (एपीआई) की कीमतें अधिक होने पर भी दवाओं का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) स्थिर रहता है।
बीडीएमए ने कहा कि प्रस्तावित एमआईपी स्तर उचित एवं तर्कसंगत हैं जिससे ‘फॉर्मूलेटर’ या उपभोक्ताओं पर महंगाई का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ऑरोबिंदो फार्मा लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी एस. सुब्रमण्यम ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ न्यूनतम आयात मूल्य एक स्थिरीकरण उपकरण है न कि व्यापार बाधा। महत्वपूर्ण ‘एंटीबायोटिक’ मध्यवर्ती पदार्थों के लिए यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि भारत अनुचित मूल्य निर्धारण के खिलाफ अपनी घरेलू क्षमता न खोए। ऐसा कुछ भी स्वास्थ्य रूप से सुरक्षित राष्ट्र बर्दाश्त नहीं कर सकता।’’
थोक दवा निर्माताओं का कहना है कि देश में इससे पहले भी एक बार ‘पेनिसिलिन’ की घरेलू उत्पादन क्षमता में ऐतिहासिक गिरावट देखी जा चुकी है। क्षमता को फिर से स्थापित करने में दशकों लग गए जिसमें काफी सार्वजनिक एवं निजी निवेश भी करना पड़ा।
पेनिसिलिन, ‘एंटीबायोटिक’ दवाओं का एक समूह है जो जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल होता है।