नयी दिल्ली, भारतीय हॉकी टीम के दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश शनिवार को कहा कि उन्होंने अनुभव के साथ नकारात्मक विचारों से दूर रहना सीख लिया है, जिससे उन्हें बड़े मैचों में गोल पोस्ट पर मुस्दैत रहने में मदद मिलती है।
पेरिस ओलंपिक की तैयारी कर रहे श्रीजेश का इशारा गोलकीपर के मुश्किल काम के लिए कम सराहना मिलने की ओर था।
प्राइम वॉलीबॉल लीग फ्रेंचाइजी ‘बेंगलुरु टॉरपीडोज’ के मुख्य कोच डेविड ली के साथ बातचीत के दौरान श्रीजेश ने कहा, ‘‘कभी-कभी यह ऐसी जिम्मेदारी होती है जिसकी सराहना नहीं की जाती है। मैंने अगर 10 गोल बचाए और एक गोल खाया, तो हर किसी को वह एक गलती याद रहेगी। मैंने हालांकि इन चीजों को स्वीकार कर लिया है और मैं इसके साथ आगे बढ़ गया हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस पेशे ने मुझे निजी जीवन में दबाव और आलोचना से निपटने में भी मदद की है।’’
ली अपने खेल के दिनों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वॉलीबॉल खिलाड़ियों में रहे है। उन्होंने तीन ओलंपिक में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हुए एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक हासिल किया है।
इस बातचीत में श्रीजेश ने कहा, ‘‘ गोलकीपर का काम मानसिक होता है। एक खिलाड़ी होने के नाते, हम समझते हैं कि हम किसी मैच में कैसे शामिल होना चाहते हैं। एक गोलकीपर होने के नाते, मैं सिर्फ पीछे खड़ा हूं और मेरा खेल मेरे दिमाग में है।’’