मुख्य निर्वाचन आयुक्त संबंधी समिति को लेकर प्रधानमंत्री पर भरोसा क्यों नहीं किया जा सकता: प्रसाद

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नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली चयन समिति से प्रधान न्यायाधीश को बाहर रखने पर बुधवार को सरकार को आड़े हाथ लिया, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली चुनी हुई सरकार पर ‘न्यूक्लियर बटन’ का भरोसा किया जा सकता है, तो इन नियुक्तियों के समय ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता।

चुनाव सुधारों पर लोकसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वेणुगोपाल ने दावा किया कि हाल के वर्षों में निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया था कि निष्पक्ष चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग का तटस्थ होना जरूरी है।

वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने इसके उलट किया और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) एवं निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) के चयन की समिति से प्रधान न्यायाधीश को बाहर कर दिया।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि कानून मंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए।

उनके बाद पूर्व कानून मंत्री और भाजपा सांसद प्रसाद ने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार पर न्यूक्लियर बटन का भरोसा किया जा सकता है, तो एक अच्छे सीईसी या ईसी को चुनते समय ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता।’’

उन्होंने कहा कि जब संसद ने अपनी समझ से चयन समिति के संबंध में कानून पारित किया है, जिसमें प्रधान न्यायाधीश को शामिल नहीं किया गया है, तो न्यायपालिका को हर चीज़ में क्यों शामिल किया जाना चाहिए।

प्रसाद ने दावा किया कि वेणुगोपाल भी इस बात से सहमत थे कि उच्चतम न्यायालय की पीठ द्वारा प्रस्तावित चयन समिति सिर्फ एक अंतरिम व्यवस्था थी।

भाजपा नेता का न्यूक्लियर बटन से संकेत देश द्वारा अत्यंत असामान्य स्थिति में परमाणु हथियार चलाने की अनुमति देने के निर्णय से था।

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