दिल्ली चिड़ियाघर के पुनर्विकास के बाद लोग ‘नाइट सफारी’ का आंनद ले पायेंगे

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नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) दिल्ली के चिड़ियाघर घूमने के आनंद को नया कलेवर प्रदान करने पर लक्षित एक बड़े पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत अब लोग वहां ‘नाइट सफारी’ का आनंद ले सकेंगे और एक ही टिकट पर इस प्राणी उद्यान एवं पुराना किले का भ्रमण कर पायेंगे।

एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ‘नाइट सफारी (रात्रि सफारी)’ योजना चिड़ियाघर के पुनर्विकास के तीसरे चरण का हिस्सा है, लेकिन इसका कार्यान्वयन पूरी तरह से दूसरे चरण की रूप रेखा और स्थान की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।

दिल्ली में इस विचार पर भी अब भी काम चल रहा है।

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ‘नाइट सफारी’ के लिए वास्तविक अनुभव की स्थिति को पैदा करने के लिए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर हम जगह की कमी के कारण नाइट सफारी के लिए आवश्यक ‘सेटिंग (व्यवस्था)’ बनाने में असमर्थ हो जाते हैं, तो हम इस दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम दूसरे चरण की रूप रेखा को अंतिम रूप दिये जाने का इंतज़ार कर रहे हैं। एक बार जब यह हो जाएगा, तो हम यह आकलन करने में सक्षम होंगे कि तीसरे में नाइट सफारी संभव है या नहीं।’’

उन्होंने कहा कि यदि पर्याप्त जगह नहीं रहती है, तो प्राणी उद्यान आंतरिक क्षेत्रों की उपयोग संबंध योजना में फेरबदल कर सकता है या चीजों का आकार घट सकता है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘रूप रेखा पूरा होने और स्थान तय होने के बाद ही हमें इस बारे में स्पष्ट जानकारी होगी कि क्या नाइट सफारी और एक्वेरियम जैसी सुविधाओं को लागू किया जा सकता है – जिन्हें तीसरे चरण के लिए भी योजनाबद्ध किया गया है।’’

ये अतिरिक्त सुविधाएं दूसरे चरण के अंतिम रूप रेखा पर निर्भर हैं, क्योंकि ‘नाइट सफारी’ के लिए अधिक जगह की आवश्यकता होगी।

इस बीच, पुराना किला और चिड़ियाघर के लिए साझा पार्किंग एवं साझा सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है।

‘कॉम्बो टिकटिंग’ पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें एक ही टिकट पर आगंतुक पुराना किला और राष्ट्रीय प्राणी उद्यान दोनों का भ्रमण कर सकेंगे।

अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के आधुनिकीकरण और सौंदर्यीकरण में इसके आंतरिक और बाहरी दोनों क्षेत्रों का पूर्ण पुनर्विकास शामिल है तथा यह एक अत्यधिक महत्वाकांक्षी योजना है।

अधिकारी ने कहा कि परियोजना को चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा, जिसमें प्रथम चरण और दूसरे चरण साथ-साथ चलेंगे।

नवंबर 1959 में स्थापित दिल्ली चिड़ियाघर में फिलहाल विभिन्न जानवरों और पक्षियों की 95 प्रजातियां हैं। सन् 1969 में इसे अपना पहला शेर जोड़ा मिला था।

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