जीईएलएस 2025 का चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के साथ हुआ समापन

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पुरी, आठ दिसंबर (भाषा) ओडिशा के उप मुख्यमंत्री के. वी. सिंह देव ने सोमवार को कहा कि दो दिवसीय वैश्विक ऊर्जा नेतृत्व शिखर सम्मेलन 2025 (जीईएलएस 2025) का समापन ‘पुरी घोषणापत्र’ का मसौदा पेश करने तथा भारत के ऊर्जा बदलाव को मजबूत करने के लिए चार ज्ञान-साझेदारी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के साथ हुआ।

जीईएलएस में नेताओं, नीति निर्माताओं, उद्योग के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ), वैश्विक विशेषज्ञों एवं शोधकर्ताओं के एक प्रतिष्ठित समूह ने बंद कमरे में विचार-विमर्श, विषयगत समिति चर्चा, तकनीकी गहन विश्लेषण और ज्ञान-साझाकरण सत्रों की एक संरचित श्रृंखला में हिस्सा लिया।

देश में सौर ऊर्जा सहित स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित यह शिखर सम्मेलन रविवार शाम को संपन्न हुआ।

आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘ इन बैठकों में कृत्रिम मेधा (एआई)-सक्षम ग्रिड सुरक्षा, कार्बन बाजार, उन्नत वित्तपोषण, स्वच्छ प्रौद्योगिकी नवाचार एवं संस्थागत सुधार जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई। सामूहिक रूप से इन विचार-विमर्शों ने एक दीर्घकालिक व सहयोगात्मक मंच की नींव रखी है जो भारत के ऊर्जा क्षेत्र को एक स्वच्छ, मजबूत और नवाचार-संचालित भविष्य की ओर ले जाएगा।’’

बयान के अनुसार, शिखर सम्मेलन में नवीकरणीय ऊर्जा में शुरुआती परियोजनाओं के लिए सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू), ग्रिडको (ओडिशा ग्रिड कॉर्पोरेशन) और आईआईटी भुवनेश्वर के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

दूसरा समझौता ग्रिडको, रिन्यू, आईआईटी भुवनेश्वर और अवाडा ग्रुप द्वारा ‘ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के संबंध में है।

एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (एनआईआरएल), ओआरईडीए (ओडिशा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी), जीईडीसीओएल (ओडिशा ग्रीन एनर्जी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) के बीच ओडिशा में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

इसके अलावा भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई), ओडिशा जल विद्युत निगम (ओएचपीसी), ओडिशा हरित ऊर्जा विकास निगम (जीईडीसीओएल) और ओडिशा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (ओआरईडीए) के बीच नवीकरणीय ऊर्जा विकास एवं एकीकृत योजना में तेजी लाने के लिए एक बहु-एजेंसी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।

सिंह देव ने कहा कि दो दिवसीय सत्र के दौरान हुई विभिन्न चर्चाओं एवं केंद्रीय विद्युत मंत्रालय तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से प्राप्त सुझावों के आधार पर पुरी घोषणापत्र का मसौदा प्रस्तुत किया गया जो भारत में स्वच्छ ऊर्जा संबंधी बदलाव के लिए एक स्थायी, सहयोगात्मक ढांचे के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पुरी घोषणापत्र का मसौदा राज्यों को परामर्श एवं आम सहमति बनाने के लिए पहले ही भेजा जा चुका है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतिम घोषणापत्र वास्तव में सह-लिखित तथा सामूहिक रूप से स्वीकृत हो।’’

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