चंडीगढ़,संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पंजाब-हरियाणा सीमा पर एक प्रदर्शनकारी किसान की मौत को लेकर बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की और कहा कि इस घटना के विरोध में शुक्रवार को काला दिवस मनाने के साथ ही ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच बुधवार को हुई झड़प में किसान शुभकरण सिंह (21) की मौत हो गई थी। हरियाणा पुलिस ने दिल्ली कूच की कोशिश कर रहे किसानों को पंजाब के संगरूर जिले में खनौरी सीमा बिंदु पर रोक रखा है।
पंजाब के किसान अपनी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए केंद्र से कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
एसकेएम ‘दिल्ली चलो’ मार्च का हिस्सा नहीं है लेकिन वह इसका समर्थन कर रहा है। उसने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 में किसान आंदोलन की अगुवाई थी।
यहां एक बैठक के बाद एसकेएम ने कहा कि किसान 26 फरवरी को राजमार्गों पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत करेंगे।
इसने कहा कि किसान पुलिस कार्रवाई की भर्त्सना करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के पुतले फूंकेंगे।
एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाताओं से कहा कि खनौरी सीमा पर एक किसान की मौत के सिलसिले में हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए तथा उसके परिवार को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए।
बठिंडा जिले के शुभकरण सिंह को संगरूर-जींद सीमा पर खनौरी से एक अस्पताल में मृत अवस्था में ले जाया गया था। खनौरी सीमा पर पुलिस के साथ कथित झड़प में उसकी मौत हो गई थी। इस झड़प में 12 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
यह घटना तब घटी जब किसान अवरोधकों की ओर तेजी से बढ़े और सुरक्षाबलों के साथ उनकी झड़प हो गई। हरियाणा प्रशासन ने किसानों के मार्च को आगे बढ़ने से रोकने के लिए कई स्तरीय अवरोधक लगाए हैं।
एसकेएम ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर स्थिति की चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को यहां एक बैठक की। पंजाब, हरियाणा एवं अन्य राज्यों के कई एसकेएम नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया। इन सीमा बिंदुओं पर हजारों किसान ‘दिल्ली चलो’ आह्वान के तहत डेरा डाले हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों को स्वीकार कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।
किसान नेताओं ने एक किसान की मौत हो जाने के बाद बुधवार को यह मार्च दो दिन के लिए रोक दिया था। उन्होंने कहा था कि वे शुक्रवार शाम को अपना अगला कार्यक्रम तय करेंगे।
पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।