डॉ घनश्याम बादल
पहले यह माना जाता था कि मधुमेह बच्चों में नहीं होती लेकिन लंबे समय से देखने में आ रहा है कि किशोर अवस्था के बच्चों में भी अब मधुमेह के लक्षण बढ़ते जा रहे हैं यदि पाठ्यक्रम में इस तरह के अध्याय रखे जाएं जो बच्चों को मधुमेह के लक्ष्णों एवं कारणों के बारे में बताएं तो यह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ी के लिए एक लाभदायक कदम होगा।
बच्चों में शुगर की वजह
मधुमेह के कारणों की पृष्ठभूमि में जाएं तो दो कारण मुख्य रूप से उभर कर आते हैं इनमें से पहला कारण है आनुवंशिक रूप से मधुमेह का होना जो बच्चे में अपने पैतृक या माता के वंश से आता है। इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण है बच्चों में बढ़ता हुआ मोटापा । मोटापे का मूल कारण है शरीर में वसा का अधिक मात्रा में जमा होना। जितनी कैलोरी हम भोजन या अन्य खाद्य पदार्थों से प्राप्त करते हैं यदि
उसे पर्याप्त मात्रा में बर्न नहीं किया जाता है तो शरीर में ग्लूकोटिन की मात्रा बढ़ती चली जाती है जो अंततः शुगर का कारण बन जाती है।
बच्चे, शुगर, मिथ और लक्षण
स्वाभाविक रूप से बच्चों को मीठा बहुत अच्छा लगता है और मधुमेह के बारे में एक गलत अवधारणा देखने में आती है कि मधुमेह मीठा खाने से होता है । यह एक मिथक है दरअसल मधुमेह मीठा खाने से नहीं होता लेकिन यदि मधुमेह हो जाए तो अधिक मीठा खाने से स्थिति बिगड़ ज़रूर सकती है। शुगर से बचने का आसान तरीका है प्रारंभिक लक्ष्णों को जानकर उपयुक्त सावधानी बरतना।
मधुमेह के प्रारंभिक लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, त्वचा में खुजली होना, धुंधला दिखना, थकान व कमजोरी महसूस करना, पैरों का सुन्न होना, प्यास अधिक लगना, घाव भरने में बहुत समय लगना, हमेशा भूख महसूस करना, वजन कम होना और त्वचा में संक्रमण होना प्रमुख हैं।यदि त्वचा का रंग, कांति या मोटाई में परिवर्तन दिखे, कोई चोट या फफोले ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगे, कीटाणु संक्रमण के प्रारंभिक चिह्न लालीपन, सूजन, फोड़ा या छूने से त्वचा गरम हो, योनि या गुदा मार्ग, बगलों या स्तनों के नीचेट फफूंदी संक्रमण की संभावना का संकेत मिलता है या कोई न भरने वाला घाव हो तो रोगी को तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर शुगर टेस्ट कराना चाहिए ।
विशेष लक्षण:
रोगी का मुँह सूखना,अत्यधिक प्यास व भूख लगना, दुर्बल होते जाना, बिना कारण भार कम होना, शरीर में थकावट के साथ-साथ मानसिक चिन्तन एवं एकाग्रता में कमी होना। मूत्र त्यागने के स्थान पर चीटियाँ लगना, पौरुष शक्ति में क्षीणता, स्त्रियों में मासिक स्राव में विकृति अथवा उसका बन्द होना आदि मधुमेह के विशेष लक्ष्ण है।
हमारे भोजन में कार्बोहाइड्रेट एक प्रमुख तत्त्व है, यही कैलोरी व ऊर्जा का स्रोत है। शरीर को 60 से 70 प्रतिशत कैलोरी इन्हीं से प्राप्त होती है। कार्बोहाइड्रेट पाचन तंत्र में पहुंचते ही ग्लूकोज के छोटे-छोटे कणों में बदल कर रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं इसलिए भोजन लेने के आधे घंटे भीतर ही रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तथा दो घंटे में अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाता है। दूसरी ओर शरीर तथा मस्तिष्क की सभी कोशिकाएं इस ग्लूकोज का उपयोग करने लगती हैं। ग्लूकोज छोटी रक्त नलिकाओं द्वारा प्रत्येक कोशिका में प्रवेश करता है, वहां इससे ऊर्जा प्राप्त की जाती है। यह प्रक्रिया दो से तीन घंटे के भीतर रक्त में ग्लूकोज के स्तर को घटा देती है। भोजन के पश्चात यह स्तर 120-140 मि.ग्रा.डे.ली. हो जाता है तथा धीरे-धीरे कम होता चला जाता है।
बचपन,शुगर और ख़तरे ।
यदि रक्त में शर्करा का स्तर लंबे समय तक सामान्य से अधिक बना रहता है तो उच्च रक्त ग्लूकोज अधिक समय के बाद विषैला हो जाता है। अधिक समय के बाद उच्च ग्लूकोज, रक्त नलिकाओं, गुर्दे, आंखों और स्नायुओं को खराब कर देता है जिससे जटिलताएं पैदा होती है और शरीर के प्रमुख अंगों में स्थायी खराबी आ सकती है। स्नायुतंत्र की समस्याओं से पैरों अथवा शरीर के अन्य भागों की संवेदना चली जा सकती है। रक्त नलिकाओं की बीमारी से हृदयाघात भी सकता है, पक्षाघात और संचरण की समस्याएं पैदा हो सकती हैं । ग्लूकोमा या मोतियाबिंद रोग हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त भी उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रोल व रक्त संचारण धीमा होने से दिल का दौऱा पड़ सकता है। मधुमेह में पक्षाघात और दिल के दौरे का खतरा 16 गुना बढ़ जाता है । मधुमेह मरीजों में हार्ट-अटैक होने पर भी छाती में दर्द नहीं होता, क्योंकि दर्द का अहसास दिलाने वाला इनका स्नायु क्षतिग्रस्त हो जाता है।
मधुमेह का घनिष्ठ संबंध जीवन-शैली से है ,अतः नियमित अंतराल में चिकित्सकीय परीक्षण करवायें, जिससे रोग का शुरुआती अवस्था में ही पता लग सके।
मधुमेह की रोकथाम:
बच्चों में मधुमेह होने के कारण पैदा होने वाली जटिलताओं की रोकथाम के लिए नियमित आहार, व्यायाम, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, सफाई और संभावित इनसुलिन इंजेक्शन अथवा डाॅक्टर के सुझाव के अनुसार खाने वाली दवाइयों का सेवन करना जरुरी है ।
चिन्ता, तनाव, व्यग्रता से मुक्त रहें। तीन माह में एक बार रक्त शर्करा की जाँच कराएं। भोजन कम करें, भोजन में रेशे युक्त द्रव्य, तरकारी, जौ, चने, गेहूँ, बाजरे की रोटी, हरी सब्जी एवं दही का प्रचुरमात्रा में सेवन करें। शारीरिक परिश्रम करें व प्रातः 4-5 कि.मी. घूमें । कोल्ड ड्रिंक व पैक्ड फूड से जितना परहेज करें उतना अच्छा है।
जहां तक बच्चों की बात है तो उन्हें बचपन एवं शारीरिक तथा मानसिक वृद्धि के लिए स्वस्थ होना बहुत जरूरी है वह बचपन का आनंद तभी ले सकते हैं जब उनमें पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता हो और दुर्भाग्य यह है कि मधुमेह की बीमारी के चलते रोग प्रतिरोधक क्षमता करती चली जाती है और बच्चे बचपन का आनंद लेना ही भूल जाते हैं।
बाल दिवस और मधुमेह
इस बाल दिवस पर कितना अच्छा रहे कि हम बच्चों को विभिन्न माध्यमों एवं मंचों से शुगर के लक्षणों खतरों उससे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं और कैसे उससे छुटकारा पाया जाए इस विषय में जागरूक करें क्योंकि बच्चे ने केवल अपना बल्कि बड़ों का भी सबसे ज्यादा ध्यान रख सकते हैं एवं में मधुमेह के बचाव में एक राजदूत जैसी भूमिका निभा सकते हैं।
