वाशिंगटन, पांच दिसंबर (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने “अमेरिका फर्स्ट” वैश्विक स्वास्थ्य अनुदान समझौतों के तहत पहला समझौता किया है। इन समझौतों के तहत उन देशों में संक्रामक बीमारियों से लड़ने को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्हें राष्ट्रपति की व्यापक विदेश नीति के लक्ष्यों और रुख के अनुरूप माना जाता है।
केन्या के साथ 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर के पांच वर्षीय इस समझौते पर बृहस्पतिवार को केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता उन विभिन्न पुराने स्वास्थ्य समझौतों की जगह लेगा, जिन पर दशकों तक अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) काम करती थी। ट्रंप प्रशासन ने इस वर्ष की शुरुआत में यूएसएआईडी को खत्म कर दिया था।
यूएसएआईडी को खत्म किए जाने से वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय में व्यापक चिंताएं फैल गई थीं और ट्रंप प्रशासन के इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी क्योंकि इस कदम से विकासशील देशों को विभिन्न कार्यक्रमों के तहत मिलने वाला अनुदान बंद हो गया था। इस फैसले के तहत मातृ एवं शिशु देखभाल, पोषण तथा एचआईवी/एड्स विरोधी कार्यक्रमों में कटौती की गई थीं।
रुबियो ने कहा कि केन्या के साथ हुए इस समझौते का मकसद “वैश्विक स्वास्थ्य में अमेरिकी नेतृत्व और उत्कृष्टता को मजबूत बनाना है।
उन्होंने कहा कि साथ ही यह समझौता हमारी विदेशी सहायता प्रणाली पर से निर्भरता को भी समाप्त कर देगा।
उन्होंने हैती में शक्तिशाली गिरोहों से निपटने में सहायता के लिए केन्या की प्रशंसा भी की।
केन्या के साथ हुए इस स्वास्थ्य समझौते के तहत कुल राशि में से 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान अमेरिका करेगा, जबकि शेष 850 मिलियन डॉलर केन्या सरकार वहन करेगी। यह समझौता एचआईवी/एड्स, मलेरिया और तपेदिक जैसी बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर केंद्रित है।
अधिकारियों के अनुसार, वर्ष के अंत तक कई अन्य अफ्रीकी देशों और अमेरिका के बीच ऐसे ही समझौतों पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है। हालांकि महाद्वीप के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका ट्रंप के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण संभवत: कोई समझौता नहीं करेंगे।