लखनऊ, तीन दिसंबर (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि वह अब प्रमुख समाज सुधारकों की जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें समर्पित बड़े स्मारकों पर नहीं जाएंगी, क्योंकि उनके लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था से आम लोगों को असुविधा होती है।
मायावती ने ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के चार कार्यकाल के दौरान महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायण गुरु, डॉ. बी. आर. आंबेडकर और कांशीराम जैसे महान समाज सुधारकों और प्रतीकों का सम्मान किया गया, जिन्हें ‘‘जातिवादी पार्टियों’’ की सरकारों में अक्सर ‘‘नजरअंदाज़’’ किया जाता था।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बसपा सरकार ने इन नेताओं के नाम पर कई प्रमुख कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं और लखनऊ तथा गौतम बुद्ध नगर में भव्य स्मारक, पार्क व स्मृति स्थल बनाए, जो अब उनके समर्थकों के लिए ‘‘तीर्थस्थलों’’ में बदल गए हैं और उनकी जयंती व पुण्यतिथि पर बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
मायावती ने कहा कि इन स्थलों पर उनकी यात्राओं से भारी सुरक्षा प्रबंधों के कारण लोगों को असुविधा होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अनुभव यह दिखाता है कि मेरे दौरे के दौरान की गई सुरक्षा व्यवस्था से लोगों को दिक्कत होती है, क्योंकि जब तक मैं वहां से चली नहीं जाती, लोगों को मुख्य स्थल से काफी दूर रोक दिया जाता है।’’
बसपा प्रमुख ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए वह अब अपने आवास या पार्टी कार्यालय में इन महापुरुषों को श्रद्धांजलि ही देंगी, स्मारकों पर जाकर नहीं।
उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को डॉ. बी. आर. आंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर उत्तर प्रदेश (पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर) के कार्यकर्ता व समर्थक लखनऊ में स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर बड़ी संख्या में जुटेंगे, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड के लोग नोएडा में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
उन्होंने कहा कि वे सामाजिक समानता और आत्मसम्मान के आंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्प भी लेंगे, ताकि बसपा ‘‘सत्ता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सके’’ और इन महापुरुषों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सके।