टोक्यो। जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने शुक्रवार को उत्तर कोरिया के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि उसके दश में कथित तौर पर अपहृत जापानी नागरिकों के मुद्दे को पहले ही हल कर लिया गया है। हयाशी ने कहा कि जापान इस समस्या से उचित ढंग से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि गुरुवार को उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने कहा कि अगर जापान ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए एक शर्त के रूप में ‘पहले से ही सुलझाए गए अपहरण मुद्दे’ को आगे बढ़ाने का विचार छोड़ दिया, तो दोनों देशों के बीच विवाद को कोई मुद्दा नहीं होगा। नजदीकियां बढ़ेंगी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की उत्तर कोरिया यात्रा हो सकती है।
हयाशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं उत्तर कोरिया के हर बयान पर टिप्पणी करने से बचना चाहूंगा, लेकिन यह दावा कि उत्तर कोरिया में रखे गए जापानी नागरिकों का मुद्दा हल हो गया है, पूरी तरह से अस्वीकार्य है। हमारी सरकार की नीति में कोई बदलाव नहीं है, जिसका उद्देश्य जटिल समस्याओं का समाधान करना है। इन समस्याओं में उत्तर कोरिया में पकड़े गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, मिसाइल कार्यक्रम और परमाणु कार्यक्रम शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि किशिदा ने कई मौकों पर द्विपक्षीय संबंधों में समस्याओं को हल करने के लिए उत्तर कोरियाई नेता के साथ उच्च स्तरीय वार्ता करने की अपनी इच्छा की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रयास “विभिन्न चैनलों के माध्यम से” किए जा रहे हैं। फाइनेंशियल टाइम्स ने बातचीत से परिचित लोगों का हवाला देते हुए मंगलवार को अपनी रिपोर्ट बताया कि जापान के प्रधानमंत्री ने उत्तर कोरियाई नेता से मिलने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में अन्य बातों के अलावा दशकों पहले अपहृत जापानी नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है।
जापान का दावा है कि उत्तर कोरियाई खुफिया सेवाओं ने 1970 के दशक से कम से कम 17 जापानी नागरिकों का अपहरण कर लिया है, लेकिन उत्तर कोरिया ने अपहरण के केवल 13 मामलों को मान्यता दी है। वर्ष 2002 में पूर्व जापानी प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी की उत्तर कोरिया यात्रा के बाद उनमें से पांच जापान लौटने में कामयाब रहे। उत्तर कोरिया का दावा है कि शेष आठ लोगों की मौत हो गई है, लेकिन जापान उनकी मौतों के लिए प्रस्तुत सबूतों को असंबद्ध या झूठा मानता है और सभी अपहृतों का प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है।