नयी दिल्ली, देश को अपनी कार्बन उत्सर्जन कटौती की प्रतिबद्धताएं पूरी करने के लिए छह वित्त वर्षों में 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत है। बृहस्पतिवार को एक आधिकारिक बयान में यह बात कही गई।
भारत ने अपनी 50 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता को गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही सरकार का लक्ष्य वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जक देश बनने का है।
भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक प्रदीप कुमार दास ने विश्व बैंक के एक वेबिनार में कहा कि सौर, इलेक्ट्रोलाइजर, पवन और बैटरी, हरित हाइड्रोजन, पनबिजली, पवन और अपशिष्ट से बिजली उत्पादन क्षेत्रों के लिए क्षमता तैयार करने में निवेश की जरूरत होगी।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इरेडा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाई है।
बिजली मंत्रालय के इस बयान के मुताबिक, इरेडा के मुखिया ने वर्ष 2030 तक भारत के निर्धारित योगदान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त निवेश की जरूरत पर बल दिया है। वित्त वर्ष 2024-2030 की अवधि में इसके लिए 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत का अनुमान है।
बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शुरू ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ को ‘दूरदर्शी परियोजना’ बताते हुए कहा गया है कि यह पहल देश में छत पर सौर ऊर्जा क्षेत्र को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार है।
करीब 75,000 करोड़ रुपये के निवेश से समर्थित इस योजना का लक्ष्य एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से लैस करना और प्रत्येक घर को हर महीने 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त प्रदान करना है।
दास ने कहा कि यह योजना बड़े पैमाने पर लोगों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में जागरूकता बढ़ाएगी। इसके साथ ही यह वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन और 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता पाने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में योगदान देगी।